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Supreme Court : जब 3 साल तक चली खुशहाल शादी तो अचानक क्या हो गया? CJI ने शिवसेना के बागियों से पूछा सीधा सवाल

Supreme Court : सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह इस पर टिप्पणी नहीं कर पाएंगे, क्योंकि यह राजनीतिक बहस का मुद्दा है। इसे लेकर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि राज्यपाल (तत्कालीन राज्यपाल) को खुद से यह सवाल पूछना चाहिए था कि वे इतने सालों से क्या कर रहे थे।

महाराष्ट्र में जब से उद्धव ठाकरे के हाथ से छिटककर एकनाथ शिंदे के झोली में सरकार गिरी है तभी से एक के बाद एक हर रोज नए घटनाक्रम सामने आ रहे हैं। शिवसेना चुनाव चिह्न मामले की बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि तीन साल तक चली शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की खुशहाल शादी को रातों-रात क्या हो गया? CJI ने सवाल किया, ‘उन्होंने तीन साल तक साथ में रोटी तोड़ी। उन्होंने तीन साल तक कांग्रेस और एनसीपी के साथ रोटी तोड़ी। आखिर तीन साल की खुशहाल शादी को रातों-रात आखिर ऐसा क्या हो गया कि आपको पाला बदलना पड़ गया।”

आपको बता दें कि शिवसेना के चुनाव चिह्न से जुड़े इस सवाल पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह इस पर टिप्पणी नहीं कर पाएंगे, क्योंकि यह राजनीतिक बहस का मुद्दा है। इसे लेकर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि राज्यपाल (तत्कालीन राज्यपाल) को खुद से यह सवाल पूछना चाहिए था कि वे इतने सालों से क्या कर रहे थे। SS ने कहा कि सत्तारूढ़ दल में विधायकों के बीच केवल मतभेद के आधार पर बहुमत साबित करने को कहने से निर्वाचित सरकार हटाई जा सकती है।

supreme court वहीं दूसरी तरफ अदालत ने कहा कि राज्य का राज्यपाल अपने कार्यालय का इस्तेमाल इस नतीजे के लिए नहीं होने दे सकता। सीजीआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा, ‘यह लोकतंत्र के लिए एक शर्मनाक तमाशा होगा।’ पीठ ने यह टिप्पणी पिछले साल महाराष्ट्र में अविभाजित शिवसेना में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हुई बगावत के बाद जून 2022 में महाराष्ट्र में पैदा हुए राजनीतिक संकट को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करने के दौरान की। समझें क्या है पूरा मामला बेंच ने यह टिप्पणी महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता के उपस्थित होने के बाद की। मेहता ने घटना का सिलसिलेवार उल्लेख किया और कहा कि उस समय राज्यपाल के पास कई सामग्री थी जिनमें शिवसेना के 34 विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र, निर्दलीय विधायकों का तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे नीत सरकार से समर्थन वापस लेने का लेटर भी है।