नई दिल्ली। कर्नाटक से शुरू हुआ हिजाब विवाद बीते रविवार को तब हिंसक हो गया जब सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील कर्नाटक के शिवमोगा में बजरंग दल के कार्यकर्ता हर्ष की धारदार हथियार से गोदकर हत्या कर दी गई। उसकी शवयात्रा के दौरान लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और हिंसा भड़क गई। लोगों ने पथराव भी किया जिसमें एक महिला सिपाही और फोटो पत्रकार समेत कई लोग घायल हो गए। गंभीर हालात को देखते हुए शहर में धारा 144 लागू कर दी गई और एहतियात के तौर पर सोमवार को स्कूल और कॉलेज भी बंद रखे गए। बजरंग दल ने हत्याकांड के विरोध में बुधवार 23 फरवरी को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है। इस पूरे बवाल में बजरंग दल का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है, बजरंग दल को लेकर लोगों की अलग अलग राय है। जहां कुछ लोग इस हिंदुत्ववादी संगठन को भारतीय संस्कृति के झंडाबरदारों में से एक मानते हैं तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसे एक आतंकी संगठन की संज्ञा देते हैं, लेकिन असल में बजरंग दल क्या है और इसकी स्थापना किसने और क्यों की थी चलिए जानते हैं।
साल 1984 में विश्व हिन्दू परिषद की पहली धर्मसंसद में मंदिर आंदोलन की शुरूआत के साथ ही हिंदू समाज में सांस्कृतिक चेतना पैदा करने के लिए अयोध्या में राम जानकी रथयात्रा के नाम से नियमित रूप से शोभायात्रा निकालने की भी शुरूआत की गई। राम जानकी रथयात्रा में आने वाली मुसीबतों को दूर करने के लिए साधु-संतो ने युवाओं से इस झांकी को निर्विघ्न रूप से जारी रखने का आहवान किया और इसके लिए 1 अक्टूबर 1984 के दिन एक दल की स्थापना की गई, नाम रखा गया बजरंग दल। बजरंग दल का राष्ट्रीय संयोजक विनय कटियार को बनाया गया। युवाओं को लगातार इस नए संगठन से जोड़ा गया। बजरंग दल का सूत्रवाक्य सेवा, सुरक्षा और संस्कृति है। हिंदू युवा शक्ति को समाज के प्रति संस्कारयुक्त और सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करना बजरंग दल का मुख्य कार्य है। अयोध्या के सभी कार्यक्रमों में संगठन की उपस्थिति जरूर होती थी। हर तरह की स्थितियों से निपटने के लिए कार्यकर्ताओं को लगाया जाता था, इसलिए उन्हें हथियारों को चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता था। विश्व हिंदू परिषद के शिला पूजन कार्यक्रम में भी बजरंग दल ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
राम मंदिर आंदोलन की धार को तीखा रखने के लिए बजरंग दल के युवाओं को घरों पर भगवा पताका लगाने और बलिदानी जत्थे तैयार करने का काम भी सौंपा गया था। बताया जाता है कि जब बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया तो उस वक्त अयोध्या में मौजूद लोगों में से 90 प्रतिशत लोग बजरंग दल के सक्रिय कार्यकर्ता थे जिन्होंने इस काम मे अपना अहम किरदार निभाया था। बजरंग दल हर साल देश के विभिन स्थानों पर अपने कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देने के लिए शौर्य प्रशिक्षण वर्गों का आयोजन करता है…बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनका हर काम राष्ट्र और धर्म के लिए होता है जिसमें विवाद का कोई विषय नही है। बजरंग दल के मुताबिक भारत से लव जिहाद, गौ हत्या, और धर्मांतरण जैसी गतिविधियों को पूरी तरह खत्म कर भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना उनका लक्ष्य है। बजरंग दल अपने काम का विस्तार करने के लिए देशभर के मंदिरों में साप्ताहिक मिलन के कार्यक्रम के आयोजन भी करता है। युवाओं से संपर्क साधने के लिए बजरंग दल खेल प्रतियोगिता और अखाड़े भी संचालित करता है जिसमें वो युवाओं को शारीरिक रूप से मजबूत करने का काम करता है। देश की हिन्दी पट्टी के राज्यों के साथ ही दक्षिण के राज्यों में भी बजरंग दल के कार्यकर्ता मौजूद हैं। इस हिंदुत्ववादी संगठन के बारे में दिलचस्प बात ये है कि बजरंग दल अपने किसी भी कार्यकर्ता या पदाधिकारी को किसी भी तरह का पहचान पत्र मुहैया नहीं करवाता। बजरंग दल अपने 27 लाख सदस्यों और करीब 22 लाख कार्यकर्ता होने का दावा करता है।