
नई दिल्ली। जी-20 का नाम तो आपने सुना ही होगा, लेकिन आज एकाएक पी-20 को लेकर सुर्खियों का बाजार गुलजार हो गया, तो लोगों के जेहन में बार-बार यही सवाल उठा कि आखिर ये क्या है?, तो यहां आपको बता दें कि पी का मतलब पार्लियामेंट यानी की संसद है। मतलब, दुनिया के 20 देशों के सांसदों के पीठासीन अधिकारी इस समूह में शामिल हैं। वहीं, इस पी-20 का जी-20 से भी खासा कनेक्शन है। वो कौन-सा कनेक्शन है? ये भी जान लीजिए। दरअसल, जी-20 समूह के सदस्य देश के संसद के पीठासीन अधिकारी इस समूह में शामिल होंगे। प्रतिवर्ष इस समूह की बैठक विभिन्न देशों की अध्य़क्षता में होगी, जैसा कि जी -20 की होती है।
Prime Minister @narendramodi will inaugurate the 9th #G20 Parliamentary Speakers’ Summit, P-20 in New Delhi on 13th October.
The two day #P20 Summit will be held at the newly constructed India International Convention and Expo Center, Yashobhoomi, in Dwarka.@g20org pic.twitter.com/Y4TdeMbtKs
— All India Radio News (@airnewsalerts) October 6, 2023
पीएम मोदी ने किया उद्घाटन
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इस समूह का उद्घाटन किया। इस खास मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि इस समूह में दुनियाभर के दिग्गज देशों के अध्य़क्ष शामिल होंगे। यह एक प्रकार से दुनियाभर के संसदीय परंपराओं का महाकुंभ है। जिसमें सभी देशों की संसदीय प्रणाली पर विस्तारपूर्वक चर्चा होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समूह में शामिल सदस्य देशों को आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति बनानी होगी। आतंकवाद को लेकर एक सर्वव्यापी परिभाषा तय करनी होगी, तभी इसका समूल नाश किया जा सकेगा। आज दुनिया के हर देश कमोबेश आतंकवाद से पीड़ित है, लेकिन अफसोस आज तक संयुक्त राष्ट्र के समक्ष हम आतंकवाद को लेकर एक सर्वव्यापक परिभाषा नहीं रख पाए, जिसकी वजह से हम इसका समूल नाश नहीं कर पाए हैं।
#WATCH | Delhi: On the P-20 Summit, Lok Sabha Speaker Om Birla says, “P-20 summit will be organised on October 12, 13, and 14 at the India International Convention and Expo Centre in Delhi. The parliaments of the G-20 countries, invited countries, African Union will attend the… pic.twitter.com/SCOJVOVSaH
— ANI (@ANI) October 6, 2023
लोकसभा चुनाव देखने के लिए किया आमंत्रित
इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पी-20 सम्मेलन में शामिल सभी सदरस्य देशों को भारत में आगामी 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव को देखने के लिए आमंत्रित किया है। ध्यान दें, भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों की फेहरिस्त में शुमार है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम भारत के लिए लोकतांत्रिक मोर्चे पर मील का पत्थऱ साबित हो सकता है।’
Bharat’s Success Story continues!
After brilliant success of G-20, Bharat now presiding over P-20 (Parliament Speakers) Summit in New Delhi under Presidency of Hon LS Speaker .@ombirlakota Ji on 13-14 Oct 2023. It will be preceded by Parliamentary Forum on 12 Oct. pic.twitter.com/MrNYs1SpeI
— BhikuMhatre (@MumbaichaDon) October 11, 2023
कब होगी बैठक
बता दें कि पी-20 की बैठक आगामी 13 अक्टूबर को नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एक्सो सेंटर यशोभूमि में होगी। इसमें सदस्य देशों के सभी प्रमुख शामिल होंगे। बैठक में विभिन्न देशों की लोकतांत्रिक प्रणाली पर चर्चा होगी।
कनाडा ने बनाई दूरी
उधऱ, इस उद्घाटन के मौके पर पीएम मोदी ने कनाडा से दूरी बनाए रखी, जिसे लेकर भारत में चर्चाओं का बाजार गुलजार हो चुका है। दरअसल, कनाडा और भारत के बीच बीते दिनों खालिस्तान के मुद्दे को लेकर विवाद भी देखने को मिला था। बीते दिनों दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर में सम्मेलन में शिरकत करने के बाद स्वदेश लौटे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हाउस ऑफ कॉमन्स को संबोधित करने के क्रम में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के शामिल होने का आरोप लगाया था। हालांकि, भारत ने कनाडा द्वारा लगाए इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में खटास आ गई थी। इतना ही नहीं, भारत ने कनाडा के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए उसके राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश तक दे दिया था। भारत ने इसके लिए कनाडाई नागरिकों को 10 दिनों का समय दिया था।
उधर, भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि अगर कनाडाई राजनयिक 10 दिनों के भारत छोड़कर नहीं गए ,तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बहरहाल, वैसे बात हम पी-20 की कर रहे थे, लेकिन आज इसके उद्घाटन कार्यक्रम में कनाडा ने दूरी बनाई, तो इस रिपोर्ट में उसके साथ हुए पुराने विवाद पर गौर फरमा लिया गया।
फिलहाल, अब आगामी दिनों में दोनों देशों के बीच रिश्ते कैसे रहते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन आपको बता दें कि बीते दिनों एक कार्यक्रम के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद की कनाडाई विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता हुई थी, जिसके बाद यह चर्चा उठी कि यह वार्ता दोनों देशों के बीच रिश्तों में मौजूदा खटास को दूर करने में सफल साबित होगी, लेकिन इसे लेकर संशय के बादल अभी-भी बरकरार हैं। इस पर अभी किसी भी प्रकार की टिप्पणी करना अतिशयोक्ति होगी। बहरहाल, इस रिपोर्ट में फिलहाल इतना ही नहीं। देश-दुनिया की तमाम छोटी बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए आप पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम