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What Is Kannada Sign Board Protest: क्या है दुकानों में साइन बोर्ड पर “60% कन्नड़” के इस्तेमाल वाला आदेश जिसको लेकर मचा है कर्नाटक में बवाल?

What Is Kannada Sign Board Protest: जानकारी के लिए आपको बता दें कि बीबीएमपी के मुख्य आयुक्त तुषार गिरि नाथ ने घोषणा की कि प्रशासन उन व्यवसायों की पहचान करने के लिए तैयार है जो नई भाषा की आवश्यकता के अनुरूप नहीं हैं।

नई दिल्ली। दक्षिण भारत में हिंदी भाषा को लेकर विवाद कोई नई चीज नहीं है। एक लंबे समय से ही या यूं कहें की आजादी के समय से ही हिंदी भाषा को दक्षिण भारत में बड़ी ही हीन दृष्टि से देखा जाता रहा है। यही कारण है कि हिंदी भाषियों को दक्षिण भारत में उतना सम्मान नहीं मिलता है जिसके वह हकदार हैं। अक्सर इस तरह की खबरें सामने आती हैं कि बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य के मजदूरों को सिर्फ उनके हिंदी भाषी होने की वजह से दक्षिण के राज्यों में, खासकर तमिलनाडु में और तेलंगाना में प्रताड़ित किया गया है। लेकिन एक बार फिर कर्नाटक में हिंदी को लेकर विवाद चढ़ गया है। इस विवाद के केंद्र में है राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया। हाल ही में शहर के नगर निगम बेंगलुरु महानगर पालिका ने एक आदेश जारी कर दुकान मालिकों को अपने साइनबोर्ड पर 60% कन्नड़ भाषा का उपयोग करने का निर्देश दिया है। इस निर्देश ने स्थानीय कन्नड़ समर्थक संगठनों और व्यवसायों के बीच तनाव पैदा कर दिया है, जिनका स्वामित्व मुख्य रूप से उत्तर भारतीयों, विशेषकर मारवाड़ी समुदाय के पास है, जो अपने हिंदी भाषी मूल के लिए जाने जाते हैं।

60% कन्नड़’ नियम क्या है और क्या है इसको लेकर विवाद?

अगर आप इस विवाद की जड़ में जाने का प्रयास करेंगे तो आपको पता चलेगा कि कर्नाटक में हिंदी भाषा को लेकर लोगों के बीच उतनी अच्छी राय नहीं है। यहां तक की सरकार भी कन्नड़ को हिंदी भाषा से श्रेष्ठ मानती है। यही कारण है कि हाल ही में स्थानीय भाषा की प्रमुखता को बढ़ावा देने के प्रयास में, बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) ने पूरे बेंगलुरु के व्यवसायों को एक निर्देश जारी किया, जिसमें उन्हें अपने साइनबोर्ड पर न्यूनतम 60% कन्नड़ को प्रमुखता से प्रदर्शित करने के लिए कहा गया। 28 फरवरी तक अनुपालन करने में विफलता के कारण व्यापार लाइसेंस रद्द किया जा सकता है और निर्देश का पालन नहीं करने वाले व्यवसायों के लिए संभावित कानूनी परिणाम हो सकते हैं। इस घटनाक्रम ने कर्नाटक की राजधानी में भाषा प्राथमिकताओं पर लंबे समय से चली आ रही बहस को फिर से जन्म दे दिया।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि बीबीएमपी के मुख्य आयुक्त तुषार गिरि नाथ ने घोषणा की कि प्रशासन उन व्यवसायों की पहचान करने के लिए तैयार है जो नई भाषा की आवश्यकता के अनुरूप नहीं हैं। कन्नड़ के उपयोग की वकालत करने वाले संगठन, कर्नाटक रक्षणा वेदिके (केआरवी) के साथ एक बैठक के दौरान बोलते हुए, नाथ ने कहा कि शहर में 1400 किमी लंबी मुख्य और छोटी सड़कें हैं, और इन सड़कों पर सभी वाणिज्यिक दुकानें होंगी। इसके साथ उन्होंने यह भी बताया इसको लेकर हर तरफ से एरिया वाइज सर्वे किया गया है। बेंगलुरु, देश भर से लोगों को आकर्षित करने वाले आईटी-संबंधित रोजगार के केंद्रीय केंद्र के रूप में, एक विस्तारित अवधि के लिए भाषा प्राथमिकता के मामले से जूझ रहा है। शहर का विविध भाषाई परिदृश्य कभी-कभी तनाव का कारण बनता है। खास बात यह भी है कि कर्नाटक में रह रहे हिंदी भाषा ही बेल्ट के लोगों को कन्नड़ भाषा के इस्तेमाल के लिए विवश करने का प्रयास किया जाता है जिसके बाद इस तरह के विवाद अक्सर पनपते रहते हैं।