
नई दिल्ली। बीच के कुछ कालखंडों को छोड़ दीजिए और जरा चलिए हमारे साथ साल 2011, 2012, 2013 और 2014 में और लाइए अपनी निगाहों के सामने अरविंद केजरीवाल की तस्वीर। वही अरविंद केजरीवाल जो आज राजधानी दिल्ली के बादशाह हैं। वही अरविंद केजरीवाल जिन्होंने कभी भ्रष्टाचार को खत्म करने का प्रण लिया था। वही अरविंद केजरीवाल जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जंग को धार देने के लिए कांग्रेस से लेकर बीजेपी, सपा से लेकर बसपा जैसे तमाम छोटे बड़े सियासी दलों की क्लास लगा दी थी। शायद कहने में किसी को गुरेज नहीं होना चाहिए उन दिनों देश की जनता को अरविंद केजरीवाल में उम्मीद की किरण दिख रही थी। उम्मीद की अब देश का कायाकल्प होगा। उम्मीद दिख रही थी अंधेरे के छटने की और उजाले के आने की। लेकिन अफसोस अब लोगों की इन्हीं उम्मीदों पर अगर किसी ने पानी फेरने का काम किया है, तो स्वयं अरविंद केजरीवाल हैं। अगर किसी ने लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का काम किया है, तो वो खुद केजरीवाल हैं। जी हां…वो इसलिए क्योंकि अब केजरीलाल भी सियसात करना सीख चुके हैं।
अब ये केजरीवाल वो केजरीवाल नहीं रहे जिन्होंने भ्रष्टाचार का जड़ से समूल नाश करने के लिए कभी सीएम की कुर्सी की भी परवाह नहीं करते हुए फौरन इस्तीफा देना तक मुनासिब समझा था। अब ये केजरीवाल वो केजरीवाल नहीं रहे जो शयाद भ्रष्टाचारियों को जड़ से खत्म करने के लिए सियासी हितों की परवाह किए गए बगैर जनहित को सदैव प्राथमिकता दिया करते थे। अब अरविंद केजरीवाल भी अन्य राजनेताओं की भांति राजनीति करना सीख चुके हैं। अन्ना आंदोलन के बहाने सियासत का ककहरा सीखने वाले अरविंद केजरावील अब राजनीति की दुनिया के सूरमा बन चुके हैं, इसलिए तो अब उनकी पार्टी दिल्ली के साथ-साथ अन्य सूबों में भी अपनी सियासी बिसात बिछाने के लिए अपने सिद्धांतों की जमकर पलीता लगा रही है।
दिल्ली के बाद अब पंजाब, गोवा, हरियाणा समेत उत्तर प्रदेश में अपनी सियासी दुर्ग को दुरूस्त करने की जद्दोजहद में मसरूफ केजरीवाल अब यूपी में अपना सियासी दुर्ग स्थापित करने के लिए समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने को आतुर नजर आ रही है। कल इसी सिलसिले में आम आदमी पार्टी से उत्तर प्रदेश के प्रभारी संजय सिंह ने तकरीबन आधे घंटे तक सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की। इस मुलाकात में इन दोनों ही सियासी सूरमाओं के बीच आगामी विधानसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर वार्ता हुई। दोनों दल आगामी चुनाव में गठबंधन की नौका पर सवारी करने की दिशा में मंथन कर रहे हैं। माना जा रहा है कि दोनों ही दल चुनाव जीतने की खातिर गठबंधन कर सकते हैं। इसी संदर्भ में कल आप नेता संजय सिंह ने अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में जहां योग सरकार को आड़े हाथों लिया, तो वहीं प्रदेश की जनता के हित के लिए इस गठबंधन को अपिहार्य बताया। ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों दलों के बीच गठबंधन की राह खुल सकती है, लेकिन दोनों दलों के बीच चल रहे गठबंधन की चर्चाओं के बीच लोग अब आम आदमी पार्टी पर हमलावर हो चुके हैं।
लोग कर रहे हैं कि यह वही केजरीवाल हैं, जिन्होंने साल 2014 में जब भ्रष्टाचारी नेताओं की फेहरिस्त जारी की थी, तो उसमें तत्तकालीन सपा प्रमुख मुलायाम सिंह यादव का भी नाम था और इन्हीं की पार्टी उत्तर प्रदेश में चुनाव जीतने की खातिर सपा के साथ गठबंधन कर रही है। मतलब, अब चुनाव की खातिर यह दल अपने सिद्धांत के साथ खिलवाड़ कर रही है। आइए, आगे आपको दिखाते हैं कि कैसे लोगों का गुस्सा आप पर भड़क रहा है।
वहीं शिवम (@PoeticShivam) नाम के यूजर ने इस पर दुख जताते हुए कहा कि एक गलत को मिटाने के लिए दूसरे गलत के साथ होने में कोई बहादुरी नहीं है। आप को अपने सिद्धांतों से नहीं हटना चाहिए। सुमित कुमार द्विवेदी (@sumitkumardwive) ने लिखा कि राजनीति मे जन्म लिये थे तब तो सबके खिलाफ सबूत थे, अब अचानक उन्ही पर प्यार आने लगा है, क्या हुआ? पैसा देख कर सारी इमान्दारी छू मंतर हो गई क्या? गौरतलब है कि आगामी कुछ माह बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है, जिसमें तमाम सियासी दल अपनी जीत सुनिश्चित कराने की कोशिश कर रहे हैं। अब ऐसे में देखना होगा कि आने वाले दिनों में किस दल की कोशिश कामयाब होती है।