
नई दिल्ली। कोई गुरेज नहीं यह कहने में कि संसदीय इतिहास में आज का दिन स्वर्णीम अक्षरों में लिखा जाएगा, क्योंकि आज केंद्र की मोदी सरकार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। महिलाओं को राजनीतिक मोर्चे पर संबल बनाने की दिशा में पेश हुआ महिला शक्ति वंदन अधिनियम बिल आज लोकसभा से दो तिहाई बहुमत के साथ पास हुआ। बिल के पक्ष में जहां 454 वोट डाले गए तो वहीं विरोध में 2 वोट डाले गए। हालांकि, अभी तक यह जानकारी सामने नहीं आई है कि विरोध में वोट डालने वाले सांसद कौन हैं, लेकिन माना जा रहा है कि ये दोनों सांसद ओवैसी की पार्टी के हो सकते हैं। हालांकि, अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। वहीं, अब लोकसभा से पास होने के बाद अब बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा।
वहीं, महिला शक्ति वंदन अधिनियम के कानून बन जाने के बाद लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण दिया जाएगा, जिससे राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। दुर्भाग्य से आजादी के सात दशकों के बाद भी राजनीति में महिलाओं की भागीदारी कम है। वहीं, अब राजनीति के मोर्चे पर महिलाओं को संबल कराने की दिशा में सरकार ने यह बिल लोकसभा से पास करवा दिया है, लेकिन यह राह आसान नहीं थी। इस बिल पर आठ घंटे तक चर्चा हुई। चर्चा के दौरान अधिकांश सांसदों ने राजनीतिक दुराग्रह को दरकिनार कर बिल का समर्थन किया। लेकिन इस बीच मायावती ने जहां बिल को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल उठाए, तो वहीं ओवैसी ने मुस्लिम महिलाओं को आरक्षण दिए जाने की मांग की, लेकिन इस बीच राहुल ने बिल पर जो कुछ भी कहा, उसके बाद से सियासी गलियारों में चर्चा का बाजार गुलजार हो चुका है।
मैंने एक सवाल पूछा कि जो 90 सेक्रेटरी हैं, जो हिन्दुस्तान की सरकार को चलाते हैं, इनमें से OBC समुदाय से कितने हैं?
हिन्दुस्तान के 90 सेक्रेटरी में से सिर्फ तीन OBC समुदाय से हैं। OBC समुदाय के ये सेक्रेटरी देश के सिर्फ 5% बजट को कंट्रोल करते हैं।
: @RahulGandhi जी pic.twitter.com/ufCd6kbhYn
— Maharashtra Congress Sevadal (@SevadalMH) September 20, 2023
राहुल ने बिल का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने इसमें ओबीसी महिलाओं को आरक्षण नहीं दिए जाने पर सरकार की नीयत पर सवाल उठाए। राहुल ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के बिना महिला आरक्षण बिल अधूरा है। इस देश में केंद्र के 90 सचिव हैं और उनमें से 3 ओवीसी समुदाय से हैं। यही पांच फीसद लोग बजट को कंट्रोल करते हैं। यह ओबीसी समुदाय का अपमान है। राहुल ने कहा कि इस देश में कितने दलित हैं, कितने ओबीसी हैं, कितने आदिवासी हैं? इस बात की जानकारी जातिगत जनगणना के जरिए ही प्राप्त हो पाएगी। लिहाजा मैं सरकार से मांग करता हूं कि वो जातिगत जनगणना करवाए, ताकि पूरी वस्तुस्थिति के बारे में जानकारी मिल सकें। राहुल ने कहा कि अगर सरकार जातिगत जनगणना नहीं करवाएगी, तो हम करवाएंगे और आंकडे़ जारी कर देंगे।
इस बीच राहुल ने अपने संबोधन में अदानी मसले का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अदानी मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। इस बीच राहुल ने सत्तापक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि डरो मत…डरो मत… जिस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आपत्ति जताई। बिरला ने राहुल से कहा कि आप इस तरह के संवाद का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। इस समय लोकसभा में बेहद ही गंभीर विषय़ पर चर्चा हो रही है। लिहाजा आप इस तरह के अल्फाज इस्तेमाल मत कीजिए। ध्यान दें कि यह पहली बार नहीं है कि जब ओम बिरला ने राहुल को उनकी अशोभनीय टिप्पणी की वजह से टोका हो, बल्कि इससे पहले राहुल ने मणिपुर में महिलाओं को नग्न परेड कराने के मसले को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। जिसमें उन्होंने कहा था कि इन लोगों ने भारत माता की हत्या की है, जिस पर भी स्पीकर ओम बिरला ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह सदन है, लिहाजा आप गरीमापूर्ण भाषा का इस्तेमाल करें।