नई दिल्ली। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के प्रति राजनीतिक विवाद अब उनके स्मारक म्यूजियम और पुस्तकालय को लेकर उभर रहा है। इस विवाद के चलते नेहरू स्मारक म्यूजियम और पुस्तकालय को अब प्राइम मिनिस्टर्स म्यूजियम एंड सोसाइटी (PMMS) के तौर पर जाना जाएगा। गुरुवार को एनएमएमएल सोसायटी की बैठक में इस निर्णय की घोषणा की गई, जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने नेहरू स्मारक म्यूजियम और पुस्तकालय के नाम में बदलाव का विरोध किया है। उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि जो लोग स्वतंत्रता संग्राम और आधुनिक भारत के निर्माण में जवाहर लाल नेहरू के योगदान को मिटाना चाहते हैं, वे एक बार नेहरू की गहराई को समझने के लिए ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ और ‘विश्व इतिहास’ की झलक पढ़ें। उन्होंने कहा, “इमारतों का नाम बदलने से विरासत नहीं मिटती।”
I wish those who want to erase Jawahar Lal Nehru’s contribution to freedom struggle & building of Modern India would once read Discovery of India & Glimpses of World History to fathom the depth of Nehru.
Legacies don’t get erased by renaming buildings.https://t.co/gFgCt1p2oT
— Manish Tewari (@ManishTewari) June 16, 2023
विवाद के इस मुद्दे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट करके केंद्र सरकार को निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया, “नेहरू स्मारक म्यूजियम और पुस्तकालय के नाम के पुनर्निर्धारण का फैसला दुखद है। यह साहित्य, विज्ञान, इतिहास और राजनीति की गहरी रिश्तेदारी के प्रतीक है। नामांकन से नहीं छिन जाएगा नेहरू का योगदान।”
संकीर्णता और प्रतिशोध का दूसरा नाम मोदी है। 59 वर्षों से अधिक समय से नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय एक वैश्विक बौद्धिक ऐतिहासिक स्थल और पुस्तकों एवं अभिलेखों का ख़ज़ाना घर रहा है। अब से इसे प्रधानमंत्री म्यूजियम और सोसायटी कहा जाएगा। पीएम मोदी भारतीय राष्ट्र-राज्य के…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 16, 2023
जानकारी के लिए आपको बता दें कि नेहरू स्मारक म्यूजियम और पुस्तकालय सोसाइटी के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, और इसके सदस्यों में केंद्रीय मंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान, जी किशन रेड्डी, अनुराग ठाकुर भी शामिल हैं। इस स्मारक म्यूजियम की नींव 1929-30 में रखी गई थी