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Who are Pasmanda Muslims: कौन हैं पसमांदा मुस्लिम? जिन्हें रिझाने के लिए PM मोदी ने चला ये बड़ा दांव

उन्होंने पसमांदा मुस्लिम की  आड़ लेकर अपने सियासी हित वाले मुद्दे भी अपनी जुबां से अवतरित कर दिए।  मोदी  सरकार ने पसमांदा समुदाय  के लोगों को खुद का आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य उपलब्ध कराने की दिशा में कई अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। बता दें कि 85 फीसद आबादी पसमांदा मुस्लिम की है और बाकी 15  फीसद आबादी उच्च वर्ग के मुस्लिम लोगों की है।

नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर अभी से ही सियासी तैयारियों का सिलसिला शुरू हो चुका है। बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक अपनी सियासी तैयारियों को मूर्त रूप देने की दिशा में जुट चुकी है। आज इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजधानी भोपाल में मेरा बूथ सबसे मजबूत कार्यक्रम में शामिल हुए और बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में जहां आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र दिया तो वहीं दूसरी तरफ समान नागरिक संहिता, विपक्षी एकता, भ्रष्टाचार सहित मुख्तलिफ मुद्दों को लेकर विपक्ष पर जोरदार प्रहार किया। इस बीच पीएम मोदी ने अपने संबोधन में पसमांदा मुस्लिमों का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने अपनी तकरीरों में पसमांदा मुस्लिमों की बदहाली का जिक्र कर पूर्व की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा।

इसके अलावा अपनी सरकार द्वारा पसमांदा मुस्लिमों के हित की दिशा में कार्य करने के प्रति प्रतिबद्धता जताई, जिस पर ओवैसी ने प्रतिक्रिया व्यक्त कर पीएम मोदी को निशाने पर लिया। वहीं, इससे पहले अमेरिका में पाकिस्तानी मूल की अमेरिकी पत्रकार द्वारा भी पीएम मोदी से भारत में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए थे, जिसका बीजेपी ने मुंहतोड़ जवाब दिया था। वहीं, अब भोपाल में मेरा बूथ सबसे मजबूत कार्यक्रम को संबोधित करने के क्रम में जिस तरह से पीएम मोदी ने पसमांदा मुस्लिमों का जिक्र किया है, उसके बाद से सियासी गलियारों में इस बात को लेकर चर्चाओं का बाजार गुलजार हो चुका है कि आखिर पीएम मोदी ने आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पसमांदा मुस्लिमों का दांव क्यों चला। आखिर कौन है ये पसमांदा मुस्लिम जिसका जिक्र पीएम मोदी द्वारा किए जाने के बाद सियासी गलियां गुलजार हो चुकी हैं। आइए , आगे आपको  इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

बतौर पाठक आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि भारत में कुल मुस्लिम आबादी का 85 प्रतिनिधित्व पसमांदा मुस्लिम ही करते हैं। अल्पसंख्यक मंत्रालय के मुताबिक, पसमांदा मुस्लिम आर्थिक मोर्चे पर बदहाल हैं।  इनमें शिक्षा का भारी अभाव है।   बेरोजगारी अपने चरम पर है। कुछ की हालत तो इस कदर दुश्वार हो चुकी है कि वे दो जून की रोटी के लिए भी मुहाल हो रहे हैं।   सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि मुस्लिम बिरादरी के जो रहनुमा मुस्लिम के हित में बड़ी-बड़ी तकरीरें देते हैं, उन्होंने आज तक पसमांदा मुस्लिमों के लिए कुछ भी नहीं किया है। वहीं, अब केंद्र की मोदी सरकार ने पसमांदा मुस्लिमों के हित की दिशा में कदम उठाने का मन बनाया, तो हर मुद्दे पर राजनीति करने का शगल रखने वाले कुछ मजहबी रहनुमाओं को मिर्ची लग गई। जिसमें से एक ओवैसी साहब भी हैं।

उन्होंने पसमांदा मुस्लिम की आड़ लेकर अपने सियासी हित वाले मुद्दे भी अपनी जुबां से अवतरित कर दिए।  मोदी सरकार ने पसमांदा समुदाय के लोगों को आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य उपलब्ध कराने की दिशा में कई अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। बता दें कि 85 फीसद आबादी पसमांदा मुस्लिम की है और बाकी 15 फीसद आबादी उच्च वर्ग के मुस्लिम लोगों की है, जो कि सियासत की आड़ लेकर सत्ता की मलाई चाट रहे हैं। ध्यान दें कि जिस तरह से हिंदू धर्म में जाति व्यवस्था है, ठीक उसी प्रकार से मुस्लिमों में भी जाति व्यवस्था है, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया है। वहीं, अब जिस तरह से  विपक्षियों द्वारा बीजेपी की मुस्लिम विरोधी छवि गढ़ने की कोशिश की गई है, उसे ध्वस्त करने के लिए अब बीजेपी ने पसमांदा मुस्लिमों पर फोकस करने का प्लान बनाया है, जिसे कांग्रेस सहित अन्य दल पचा नहीं पा रहे हैं।

बता दें कि पसमांदा समुदाय में कुंजड़े (राईन), जुलाहे (अंसारी), धुनिया (मंसूरी), कसाई चिकवा, कस्साब (कुरैशी), फकीर (अलवी), नाई (सलमानी), मेहतर (हलालखोर), ग्वाला (घोसी), धोबी, गद्दी, लोहार-बढ़ई (सैफी), मनिहार (सिद्दीकी), दर्जी (इदरीसी), वन-गुज्जर,गुर्जर, बंजारा, मेवाती, गद्दी, मलिक गाढ़े, जाट, अलवी, जैसी जातियां आती हैं। ध्यान दें कि पसमांदा समुदाय विभिन्न जातियों में बंटे हुए हैं। इससे पहले पीएम मोदी बोहरा मुस्लिमों की ओर भी अपनी पहुंच विकसित कर चुके हैं। बोहरा मुस्लिम समुदाय सियासत में हाथ आजमाने से गुरेज करता है, लेकिन पीएम मोदी लगातार उन तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पहले पीएम मोदी ने ससंदीय बोर्ड की बैठक में पार्टी कार्यकर्ताओं को मुस्लिमों के विरोध में उलजुलूल बयानबाजी करने से मना कर दिया था। वहीं, आगामी लोकसभा सहित विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पीएम मोदी लगातार मुस्लिमों तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश कर रहे हैं। अब ऐसे में इसका राजनीतिक परिदृश्य पर क्या कुछ असर पड़ता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।