बरेली। जज रवि कुमार दिवाकर। नाम आपको पहचाना हुआ लग रहा होगा। जी हां। जज रवि कुमार दिवाकर का नाम आप पहले भी सुन चुके हैं। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले में जज रवि कुमार दिवाकर ने सुनवाई की थी और कोर्ट कमिश्नर से सर्वे कराने का अहम फैसला दिया था। उन्होंने खुद को धमकी मिलने की शिकायत भी वाराणसी के जिला जज से की थी। उस वक्त वो वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन थे। अब जज रवि कुमार दिवाकर ने ऐसी बात कही है, जिसकी वजह से वो एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। रवि कुमार दिवाकर ने बरेली में लव जिहाद के एक मामले में ये टिप्पणी की है कि इसमें विदेशी फंडिंग की संभावना है।
रवि कुमार दिवाकर अभी बरेली में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश हैं। उन्होंने लव जिहाद के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई करते हुए दोषी मोहम्मद आलिम को उम्रकैद की सजा सुनाई। लव जिहाद मामले में जज रवि कुमार दिवाकर ने 42 पेज का फैसला लिखा है। रवि कुमार दिवाकर ने अपनी टिप्पणी में कहा कि लव जिहाद का पहला उद्देश्य जनसांख्यिकी को बदलना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल पैदा करना है। जज रवि कुमार दिवाकर ने ये टिप्पणी भी की है कि लव जिहाद एक धार्मिक समूह में कट्टरपंथी गुटों की तरफ से प्रेरित है। उनका कहना है कि इस धोखाधड़ी से शादी के जरिए गैर मुस्लिम महिलाओं को इस्लाम में कन्वर्ट किया जा रहा है। जज रवि कुमार दिवाकर ने टिप्पणी की है कि ये ध्यान रखना जरूरी है कि ऐसे काम पूरे धार्मिक समुदाय को नहीं दर्शाते। लव जिहाद की प्रक्रिया के बारे में उन्होंने कहा है कि महत्वपूर्ण वित्तीय संसाधन है और इस मामले में संभावना है कि विदेशी फंडिंग शामिल है।
जज रवि कुमार दिवाकर ने माना कि लव जिहाद पाकिस्तान और बांग्लादेश की तरह भारत को अस्थिर करने की साजिश है। उन्होंने इसे भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा बताया है। जज रवि कुमार दिवाकर ने लव जिहाद की परिभाषा भी दी है। उन्होंने कहा है कि ये प्रकरण अवैध धर्मांतरण का है। उनका कहना है कि लव जिहाद में समुदाय विशेष के पुरुष शादी के जरिए अपने धर्म में परिवर्तन कराने के लिए खास तरीके से दूसरे समुदाय की महिलाओं को निशाना बनाते हैं। खास समुदाय के लोग इन महिलाओं का धर्मांतरण कराने के लिए प्यार का दिखावा कर धोखे से शादी करते हैं।