नई दिल्ली। आज महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा ही अजीबोगरीब नजर देखने को मिल जब आरक्षण को लेकर विरोध प्रदर्शन करते हुए कई आदिवासी नेताओं के साथ डिप्टी स्पीकर नरहरी जिरवाल मंत्रालय की छत की तीसरी मंजिल से नीचे कूद गए, जिसके बाद वो सुरक्षा जाली में जाकर उलझ गए जिससे उनकी और सभी विधायकों की जान बच गई और उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला गया। लेकिन इसके बाद से ही नरहरी ज़िरवाल चर्चाओं में हैं.. चलिए जानते हैं कौन हैं नरहरी जिरवाल और कैसा रहा है उनका राजनीतिक करियर..
कौन हैं नरहरी ज़िरवाल?
नरहरी ज़िरवाल महाराष्ट्र की राजनीति का एक जाना-माना चेहरा हैं, जिनका राजनीतिक करियर राज्य की राजनीतिक हलचल से भरा रहा है। उनका नाम कई विवादों से भी जुड़ा रहा है। इस लेख में हम उनकी प्रारंभिक जीवन, राजनीतिक सफर और उनके साथ जुड़े विवादों पर एक नज़र डालेंगे।
महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरी झिरवल मंत्रालय की तीसरी मंजिल से कूद गए।
लेकिन सेफ्टी नेट ने उन्हें बचा लिया।
झिरवल अजित पवार गुट के विधायक हैं। pic.twitter.com/9zYvVRl0Im
— Govind Pratap Singh | GPS (@govindprataps12) October 4, 2024
कैसा रहा प्रारंभिक जीवन
नरहरी ज़िरवाल का जन्म महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के एक सामान्य परिवार में हुआ। उनका बचपन और शिक्षा भी इसी क्षेत्र में हुई। कृषि और ग्रामीण जीवन से जुड़े हुए ज़िरवाल ने प्रारंभ से ही स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे उनकी राजनीतिक रुचि जागरूक हुई।
कैसा रहा राजनीतिक सफर?
नरहरी ज़िरवाल ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के बैनर तले की। उन्होंने शुरुआत में स्थानीय स्तर पर काम किया और धीरे-धीरे पार्टी के अंदर अपना एक मजबूत आधार बनाया। वह महाराष्ट्र विधान सभा के सदस्य चुने गए और यहां से उनका राजनीतिक करियर ऊँचाइयों की ओर बढ़ता गया। वर्ष 2019 में, महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनने के बाद, नरहरी ज़िरवाल को राज्य विधान सभा का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णयों में भागीदारी की, लेकिन उनका कार्यकाल भी कई विवादों से घिरा रहा।
विवादों से भी रहा है पुराना नाता
उनके इन फैसलों पर विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि उन्होंने अपने राजनीतिक निहित स्वार्थ के लिए कार्य किया और संवैधानिक पद की मर्यादा का पालन नहीं किया। इसके अलावा, ज़िरवाल पर कई बार सरकारी योजनाओं में अनियमितताओं और पार्टी के भीतर गुटबाजी को बढ़ावा देने के आरोप भी लगे हैं।