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Mansukh Mandaviya: कौन है मनसुख मंडाविया, कैसा रहा उनका राजनीतिक सफर, जानिए सबकुछ
Mansukh Mandaviya: इस दौरान भारत को नया स्वास्थ्य मंत्री भी मिला जो कि मनसुख मंडाविया थे। मनसुख मंडाविया को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर डॉ. हर्षवर्धन की जगह नियुक्त किया गया। कोरोना वायरस के दौरान जब लगातार मौतें हो रही थी ऐसे वक्त में स्वास्थ्य मंत्री चुने गए मनसुख मंडाविया को लेकर जानना जरूरी हो जाती है।
नई दिल्ली। भारत में जब कोरोना वायरस महामारी ने दस्तक दी तो सब कुछ अस्त-व्यस्त हो गया। स्कूल, कॉलेज, ऑफिस, दुकान, बाजार सभी पर ताले लग गए थे। इस दौरान सरकार के आगे लोगों का जीवन बचाने की चुनौती थी। इस दौरान भारत को नया स्वास्थ्य मंत्री भी मिला जो कि मनसुख मंडाविया थे। मनसुख मंडाविया को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर डॉ. हर्षवर्धन की जगह नियुक्त किया गया। कोरोना वायरस के दौरान जब लगातार मौतें हो रही थी ऐसे वक्त में स्वास्थ्य मंत्री चुने गए मनसुख मंडाविया को लेकर जानना जरूरी हो जाती है।
इन पदों पर रहकर कर चुके हैं काम
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री रहने से पहले मनसुख मंडाविया बंदरगाह, जहाजरानी और जल मार्ग राज्य मंत्री और रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं। 2011 में मनसुख मंडाविया गुजरात कृषि उद्योग निगम के अध्यक्ष बने थे, उस वक्त नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे। साल 2016 में केंद्रीय मंत्रिपरिषद में उन्हें राज्य मंत्री के रूप में जगह मिली। पहले 2012 और फिर 2018 में वो राज्यसभा के लिए चुने गए।
कैसा रहा है उनका जीवन
मनसुख मंडाविया का जन्म सौराष्ट्र के भावनगर जिले के पलिताना तालुका के एक छोटे से गांव हनोल में हुआ था। मध्यमवर्गीय किसान परिवार में जन्मे मंडाविया साल 2002 में विधायक बने थे। वो सबसे कम उम्र के विधायक बने थे। उनकी आयु विधायक बनने के दौरान 28 साल थी। मंडाविया का पशुओं को लेकर प्रेम था ऐसे में उन्होंने पशु चिकित्सा विज्ञान का अध्ययन किया और राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।
पदयात्राओं के लिए हैं मंडाविया
मनसुख मंडाविया की एक पहचान पदयात्राओं के लिए की जाती है क्योंकि वो लोगों को जागरूक करने और गांवों को एक साथ लाने के लिए लंबी दूरी की यात्रा तय कर चुके हैं। साल 2005 में पहली बार उन्होंने एक विधायक के रूप में अपनी यात्रा शुरू की जो कि लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए थी। इस दौरान उन्होंने पालीताना के 45 शैक्षिक रूप से पिछड़े गांवों से 123 किमी की दूरी तय की। मंडाविया की दूसरी यात्रा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और ‘व्यासन हटाओ’ थीम के तहत थी जिसमें उन्होंने 127 किलोमीटर का सफर तय कर 52 गांवों को पार किया था। अपनी इन्हीं नेक इरादों वाली यात्राओं के लिए वो जाने जाते हैं।