
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद अब खुफिया एजेंसियां इसके तार जोड़ रही हैं। सूत्रों के हवाले से ये खबर आई है कि पहलगाम में दहशतगर्दों को चुन-चुनकर हिंदुओं का नरसंहार करने का आदेश पाकिस्तान में बैठे एक शख्स ने दिया। इस शख्स का नाम सैफुल्लाह खालिद है। जम्मू-कश्मीर में लश्कर-ए-तैयबा और द रेजिस्टेंस फोर्स यानी टीआरएफ की गतिविधियों की कमान सैफुल्लाह खालिद के ही पास है। वो लश्कर के प्रमुख हाफिज सईद का करीबी है। जानकारी के मुताबिक 2024 में लश्कर-ए-तैयबा ने पाकिस्तान स्थित एबटाबाद के जंगल में आतंकियों का बड़ा ट्रेनिंग कैंप लगाया था। उस आतंकी ट्रेनिंग कैंप में सैकड़ों आतंकियों ने दहशत फैलाने की ट्रेनिंग ली। खुफिया एजेंसियों को पता चला था कि लश्कर के कैंप में सैफुल्लाह खालिद ने भारत के खिलाफ भाषण दिया था और कहा था कि 2026 में कश्मीर पर कब्जा कर लेंगे।
सैफुल्लाह खालिद लश्कर का डिप्टी चीफ है। उसे सैफुल्लाह कसूरी के नाम से भी पहचाना जाता है। तमाम बड़े आतंकी हमलों में सैफुल्लाह खालिद का नाम आ चुका है। लश्कर ने उसकी जान बचाने के लिए आसपास तमाम आतंकियों को रखा हुआ है। साथ ही पाकिस्तान की सेना भी सैफुल्लाह खालिद को सुरक्षा देती है। पाकिस्तान की सेना के बड़े अफसरों से पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड सैफुल्लाह खालिद की करीबी है। मीडिया की खबरों के मुताबिक फरवरी 2025 मं सैफुल्लाह खालिद पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित कंगनपुर भी गया था। वहां उसने भारत के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए थे। कंगनपुर में सैफुल्लाह खालिद उर्फ सैफुल्लाह कसूरी ने ये भी कहा था कि वो 2 फरवरी 2026 तक कश्मीर पर कब्जा कर लेगा। उसने कहा था कि कश्मीर में फिदायीन हमले और तेज किए जाएंगे।
पहलगाम में हुए बड़े आतंकी हमले में जिस टीआरएफ का नाम आ रहा है, वो लश्कर का ही मुखौटा संगठन है। 14 फरवरी 2019 को सबसे पहले टीआरएफ का नाम सामने आया था। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक कश्मीर में आतंकी वारदात में अपनी भूमिका न दिखाने के लिए लश्कर-ए-तैयबा ने टीआरएफ नाम से मुखौटा संगठन बनाया है। इसमें ज्यादातर आतंकवादी पाकिस्तान के ही हैं। सैफुल्लाह खालिद ही टीआरएफ का कामकाज देखता है। सेना और सुरक्षाबल लगातार ये कोशिश कर रहे हैं कि कश्मीर घाटी में टीआरएफ का समूल नाश किया जाए। बताया जाता है कि टीआरएफ में 90 फीसदी पाकिस्तान के आतंकी हैं। कम ही स्थानीय कश्मीरियों को टीआरएफ में रखा गया है। कुछ स्थानीय कश्मीरियों को टीआरएफ मदद और रेकी के लिए ओवर ग्राउंड वर्कर्स के तौर पर रखे हुए है।