नई दिल्ली। राधे मां…ये नाम सुनते ही आपके जहन में एक महीला आ गई होगी जो कि हमेशा लाल रंग के कपड़ों में नजर आती है। अब जो लोग उन्हें अच्छे से जानते हैं उन्हें तो बताने की जरूरत नहीं है लेकिन जो लोग उन्हें नहीं जानते उन्हें आज हम सुखविंदर कौर उर्फ राधे मां के बारे में पूरी जानकारी देंगे। हम आपको बताएंगे कि कैसे सुखविंदर कौर पूरी तरह से बदलकर राधे मां हो गई…
कौन हैं राधे मां…
सबसे पहले बात करें की कौन हैं राधे मां तो आपको बता दें कि राधे मां का असली नाम सुखविंदर कौर हैं। सुखविंदर कौर पंजाब के गुरदासपुर जिले के एक सिख परिवार में जन्मी थीं और महज 17 साल की उम्र में उनकी शादी पंजाब के ही मोहन सिंह संग कर दी गई थी।
कहा जाता है कि जिस मोहन सिंह संग सुखविंदर कौर उर्फ राधे मां की शादी हुई थी वो मिठाई की दुकान में काम किया करता था। अपने पति की मदद के लिए उस वक्त सुखविंदर कौर (राधे मां) सिलाई किया करती थी लेकिन समय ने ऐसे करवट ली की आज वो सुखविंदर कौर हर तरफ राधे मां के नाम से छा गईं। अब चलिए जानते हैं कैसे सुखविंदर कौर बनी राधे मांं…
कैसे सुखविंदर कौर बनी राधे मांं…
सुखविंदर कौर के राधे मांं बनने के सफर को लेकर कहा जाता है कि एक बार जब महंत श्री रामदीन दास से सुखविंदर कौर की मुलाकात हुई तभी से उनका मन धर्म को लेकर बढ़ने लगा। उनके मन में धर्म की ओर बढ़ा तो उन्होंने इसके लिए दीक्षा ली। बाद में सुखविंदर कौर लोगों के घरों में जाकर सत्संग तक करने लगी थीं। धीरे-धीरे वो इस काम में महारत हासिल करती गई और फिर उनके नाम से लेकर पहनावे सभी में बदलाव आ गया। सुखविंदर कौर बदलकर राधे मां बन गई। इसके बाद से उनकी घर-घर जाकर सत्संग करने वाली सुखविंदर कौर उर्फ राधे मां लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गई। यहां तक की बॉलीवुड के कई सैलेब्स तक उनके दरबार में हाजिरी लगाने तक पहुंच चुके हैं।
कॉन्ट्रोवर्सी से भी रहा है राधे मांं का नाता
भले ही राधे मांं खुद को मां दुर्गा का अवतार बताती हैं लोगों के भी उनकी धाक भी है लेकिन बात कॉन्ट्रोवर्सी की करें तो उनके नाम कई विवाद हैं। राधे मां बन लोगों को दर्शन देने वाली सुखविंदर कौर की कुछ ऐसी भी तस्वीरें सामने आई थीं जिसमें उन्हें भक्त चुमते हुए, गले लगाते हुए, गोद में उठाते हुए दिखे। इतना ही नहीं मिनी स्कर्ट में भी राधे मां की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि राधे मां पर कई अलग-अलग शहरों में आपराधिक केस भी दर्ज है। खैर इन सब से हटके बाद करें उनकी कमाई की तो वो राधे मां की चौकी का खर्चा करीब 5 लाख से 35 लाख रुपए होता है। इन चौकी का आयोजन का सारा जिम्मा राधे मां के एजेंट के हाथों में होता है।