नई दिल्ली। श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक भारतीय राजनीतिज्ञ, बैरिस्टर और शिक्षाविद थे, जिन्होंने जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में भारत के पहले उद्योग और आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य किया। नेहरू के साथ अनबन के बाद, लियाकत-नेहरू समझौते का विरोध करते हुए, मुखर्जी ने नेहरू के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। इनका जन्म 6 जुलाई 1901 को बंगाल में हुआ था। इन्होंने अपने समय में कई बेहतरीन काम किए है। इनके पिता का नाम सर आशुतोष मुखर्जी है जो कि खुद एक शिक्षक थे। तो चलिए जानते है कि बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी कौन है?
श्यामा प्रसाद की उपलब्धी
डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जिन्होंने 1917 में मैट्रिक की परीक्षा पास की थी और 1920 में बी०ए० की उपाधि प्राप्त की। इसके 3 साल बाद यानी 1923 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने वकालत की पढ़ाई करने के बाद विदेश चले गए। जहां से साल 1926 में इंग्लैण्ड से बैरिस्टर बन कर वापस अपने देश लौट आए। अपने पिता की राहों में चलकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भी काफी कम उम्र में शिक्षक के क्षेत्र में सफलता प्राप्त की। मुखर्जी साहब महज 33 साल की उम्र में ही कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में सामने आए। इन सब के बाद भी श्यामा प्रसाद जी के करियर ने नए नए आयाम देखें। श्यामा प्रसाद जी ने इन सब के बाद श्यामा प्रसाद जी ने अपनी इच्छा से राजनीति में प्रवेश किया।
कैसे हुई मौत?
श्यामा प्रसाद मुखर्जी बहुत से गैर कांग्रेसी हिन्दुओं की सहायता से कृषक प्रजा पार्टी के साथ मिलकर इन्होंने प्रगतिशील गठबन्धन का निर्माण किया। इस सरकार के दौरान वे वित्तमन्त्री बने। इसी समय वे सावरकर के राष्ट्रवाद के प्रति आकर्षित हुए और हिन्दू महासभा से जुड़े। श्यामा प्रसाद मुखर्जी को कश्मीर जाते हुए गिरफ्तार कर लिया गया था। लगातार एक महीने से जेल में बंद होने के कारण इनकी सेहत बिगड़ती गई और कहते हैं कि इन्हें दिल का दौरा पड़ा था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी का निधन 23 जून 1953 को श्रीनगर में हुई थी।