
अजमेर। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा के शाही ईदगाह को प्राचीन मंदिर को तोड़कर बनाए जाने का दावा कर हिंदू पक्ष ने कोर्ट में केस कर रखा है। अब ऐसा ही मामला अजमेर में गरीब नवाज कहे जाने वाले सूफी मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह का भी हो गया है। हिंदू सेना ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर होने का दावा किया है। हिंदू सेना का कहना है कि उसके पास सबूत हैं कि अजमेर में जहां ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है, वहां प्राचीन शिव मंदिर था। हिंदू सेना ने कोर्ट में याचिका दी है कि ये जगह हिंदुओं को वापस दिलाई जाए।
हिंदू सेना ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा, अजमेर दरगाह को संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर घोषित करने की माँग की#ajmerdargah #rajasthan #bjp #congress pic.twitter.com/UY0am02XRv
— News18 India (@News18India) September 26, 2024
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती को बड़ा सूफी संत माना जाता है। उनको भक्त गरीब नवाज के नाम से भी जानते हैं। अजमेर में सूफी मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में देश-विदेश से लोग जाते हैं और मन्नत मानते हैं। कहा जाता है कि ख्वाजा गरीब नवाज से मांगी गई मन्नत पूरी जरूर होती है। मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर माथा टेकने के लिए सिर्फ मुस्लिम ही नहीं हिंदू भी जाते हैं। अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को इस्लामी शासक इल्तुतमिश ने बनवाना शुरू किया था। बाद में मुगल बादशाह हुमायूं ने इसे पूरा कराया। ख्वाजा गरीब नवाज मोईनुद्दीन चिश्ती के दरगाह में हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खां ने निजाम गेट बनवाया। उससे पहले मुगल बादशाह शाहजहां ने यहां शाहजहानी दरवाजा बनवाया था। सुल्तान महमूद खिलजी ने यहां बुलंद दरवाजा बनवाया था।
मोईनुद्दीन चिश्ती का जन्म साल 1141 में अफगानिस्तान के खुरासान स्थित संजर गांव में हुआ था। वो अपने गुरु ख्वाजा उस्मान हारूनी के निर्देश पर भारत में चिश्ती संप्रदाय का प्रचार करने आए थे। जब मोईनुद्दीन चिश्ती 15 साल के थे, उस वक्त उनके पिता का निधन हो गया था। वसीयत में उनको फल का एक बाग मिला था। अफगानिस्तान में रहते उसी फल के बाग से होने वाली आमदनी से मोईनुद्दीन चिश्ती का खर्च चलता था। ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पहले से ही इतनी प्रसिद्ध रही है कि मुगल बादशाह अकबर यहां 14 बार माथा टेकने आया था। उसने दरगाह को 18 गांव भी दिए थे। मोईनुद्दीन चिश्ती का उर्स हर साल मनाया जाता है। इसकी जिम्मेदारी राजस्थान के भीलवाड़ा का गौरी खानदान करता है। 2024 में मोईनुद्दीन चिश्ती का 809वां उर्स मनाया जाएगा।