newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Rani Kamlapati History: कौन थीं रानी कमलापति जिनके नाम पर रखा गया भोपाल के रेलवे स्टेशन का नाम ?

Rani Kamalapati: रानी कमलापति हर हाल में अपने पति निजाम शाह की हत्या का बदला लेना चाहती थीं, लेकिन फौज और पैसे की कमी के कारण वो ऐसा नहीं कर पा रही थीं। ऐसे में रानी कमलापति ने फैसला किया कि वो इस मामले में मोहम्मद खान से मदद मांगेगी।

rani kamlapati 3

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमपी की राजधानी भोपाल का आधुनिक मॉडल पर पुनर्विकसित रानी कमलापति रेलवे स्टेशन देश को समर्पित कर दिया। इस स्टेशन का नाम हबीबगंज से बदलकर रानी कमलापति के नाम पर रखा गया था लेकिन आप में से बेहद कम लोग ये जानते होंगे कि रानी कमलापति कौन थीं और उनका वास्तविक इतिहास क्या है? तो आज हम आपको रूबरू करांएगे रानी कमलापति से…

जानिए रानी कमलापति का अनसुना इतिहास

रानी कमलापति गोंड राजवंश की अंतिम रानी थीं। उनकी ये कहानी शुरू होती है 1700 ई. के समय से, उस वक्त भोपाल से लगभग 50 किलोमीटर दूर गिन्नौर गढ़ नाम की एक जगह हुआ करती थी। इस रियासत के राजा का नाम था निजाम शाह। मौजूदा वक्त का भोपाल उस समय एक छोटा सा गांव हुआ करता था। ये गांव निजाम शाह के साम्राज्य का हिस्सा था निजाम शाह एक गोंड राजा थे और उनकी सात पत्नियां थी। निजाम शाह की इन्हीं सात पत्नियों में से एक थीं रानी कमलापति। कहा जाता है कि रानी कमलापति बेहद खूबसूरत थीं इसलिए वो निजाम शाह को अपनी पत्नियों में सबसे ज्यादा प्रिय थीं। निजाम शाह का एक भतीजा था, आलम शाह उसे अपने चाचा निजाम शाह से काफी ईर्ष्या थी। जिसके तीन कारण थे – राज्य, सम्पत्ति और कमलापति। कहा जाता है कि आलम शाह अपनी चाची कमलापति की खूबसूरती पर मोहित हो गया था और उन्हें अपना बनाना चाहता था। आलम शाह ने अपनी चाची के सामने प्यार का इज़हार भी किया, लेकिन रानी कमलापति ने उसे ठुकरा दिया।

इसके बाद आलम शाह ने रानी कमलापति को पाने के लिए साज़िश रची, उसने एक दिन अपने चाचा निजाम शाह के खाने में जहर मिला दिया जिसे खाकर निजाम शाह का निधन हो गया। इसके बाद आलम शाह ने राज्य पर कब्ज़ा कर लिया। दूसरी तरफ निजाम शाह के निधन के बाद रानी कमलापति अपने बेटे नवल शाह के साथ गिन्नौर गढ़ से आकर भोपाल के रानी कमलापति महल में रहने लगीं। रानी कमलापति हर हाल में अपने पति निजाम शाह की हत्या का बदला लेना चाहती थीं, लेकिन फौज और पैसे की कमी के कारण वो ऐसा नहीं कर पा रही थीं। ऐसे में रानी कमलापति ने फैसला किया कि वो इस मामले में मोहम्मद खान से मदद मांगेगी। दोस्त मोहम्मद खान उस दौरान जगदीशपुर का शासक था। बताया जाता है कि मोहम्मद खान किसी समय भोपाल के बड़े तलाब पर मछलियों का शिकार करने के लिए आता था। जब रानी कमलापति को ये बात पता चली तो उन्होंने आदेश दिया कि अगली बार मोहम्मद खान मछलियों का शिकार करने के आए तो उसे उनके सामने पेश किया जाए।

कुछ दिनों बाद मोहम्मद खान जब वापस मछलियों का शिकार करने के लिए आया तो उसे रानी के सामने पेश होने के लिए कहा गया। मोहम्मद खान से मिलने के बाद रानी को अपना वो सहयोगी मिल गया जिसकी तलाश उन्हें अपने पति की मौत का बदला लेने के लिए थी। रानी कमलापति ने मोहम्मद खान से अपने पति की हत्या का बदला लेने के लिए कहा। इसके बदले में रानी कमलापति ने मोहम्मद खान को एक लाख रुपए देने का वादा किया। इसके बाद मोहम्मद खान ने बाड़ी के राजा पर हमला करके उसकी हत्या कर दी। इस काम से रानी बहुत खुश हुईं, और उन्होंने मोहम्मद को भोपाल का एक हिस्सा दे दिया।

rani kamlapati

लेकिन दोस्त मोहम्मद खान की धोखेबाज़ी और उसका असली चेहरा तब सामने आया जब उसने रानी कमलापति की खूबसूरती से प्रभावित होकर उनके सामने शादी का प्रस्ताव रखा, रानी कमलापति ने उसके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया लेकिन मोहम्मद खान किसी भी तरह से रानी कमलापति को पाना चाहता था। इसी वजह से मोहम्मद खान और रानी कमलापति के बेटे नवल शाह के बीच युद्ध भी हुआ। इस युद्ध में 16 साल के नवल शाह का निधन हो गया। इस युद्ध के दौरान घाटी में इतना खून बहा कि वो पूरी तरह से लाल हो गई, आज उसी जगह को लालघाटी के नाम से जाना जाता है। इसके बाद भोपाल पर दोस्त मोहम्मद खान का एकाधिकार हो गया, मोहम्मद खान से बचने के लिए रानी कमलापति ने अपने महल के तालाब में जलसमाधि ले ली जिसे लोग जल जौहर के नाम से भी पुकारते हैं।