newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Asaduddin Owaisi: संसद भवन के उद्घाटन में भी ओवैसी ने खोजा धर्म का एंगल, बोले- कुरान का सूराह भी…

ओवैसी ने शायद ये नहीं देखा कि पवित्र सेंगोल को तमिलनाडु के अधीनम के संतों ने मोदी को सौंपा था। इसलिए वहां हिंदू धर्म के मंत्र ही पढ़े गए। ओवैसी को शायद ये भी नहीं दिखा कि सेंगोल स्थापना के बाद सभी धर्मों की प्रार्थना सभा भी संसद परिसर में हुई। ओवैसी अपने पुराने तौर-तरीकों के लिहाज से धर्म पर ही एक बार फिर मसले को ले गए।

आदिलाबाद। नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर हिंदू संतों को लोकसभा कक्ष में ले जाने को एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मुद्दा बनाया है। उन्होंने फिर इसमें धर्म का एंगल तलाशा है। ओवैसी ने रविवार को तेलंगाना के आदिलाबाद में एक जनसभा के दौरान कहा कि सिर्फ हिंदू धर्मगुरुओं को ले जाना सही नहीं था। उन्होंने सवाल पूछा कि पीएम नरेंद्र मोदी अपने साथ संसद में ईसाई पादरी, सिख गुरु और मुस्लिम धर्मगुरु को क्यों नहीं ले गए। औवेसी ने कहा कि भारत किसी एक धर्म को नहीं मानता। उन्होंने जनसभा में कहा कि संसद के अंदर कुरान का सूराह भी पढ़ा जाना चाहिए था। उन्होंने पीएम मोदी को छोटे दिल वाला बताया और कहा कि ये दिल्ली के सुलतान की ताजपोशी लग रही थी।


असदुद्दीन ओवैसी ने ये भी कहा कि जब तक हमारी पार्टी एआईएमआईएम ताकतवर है, तेलंगाना के सचिवालय पर बीजेपी का झंडा नहीं फहर सकेगा। उन्होंने ये भी कहा कि मुसलमान तो रोड पर खड़ा होकर संघ परिवार से पंजा लड़ा रहा है। जनसभा में ओवैसी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और तेलंगाना के बीजेपी अध्यक्ष के बारे में विवादित बयान भी दे दिया। उन्होंने कहा कि अमित शाह कहते हैं कि तेलंगाना सरकार की स्टियरिंग एआईएमआईएम के हाथ है। राज्य बीजेपी के अध्यक्ष कहते हैं कि ओवैसी को खुश करने के लिए सचिवालय बनाया गया है। इसके आगे ओवैसी बोले कि कैसे आदमी हैं। बिना हमारा नाम लिए मर्द नहीं कहला सकते क्या।

owaisi1

अब ओवैसी के संसद भवन पर सियासी बयान का दूसरा पहलू भी देख लेते हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने शायद ये नहीं देखा कि पवित्र सेंगोल को तमिलनाडु के अधीनम के संतों ने मोदी को सौंपा था। इसलिए वहां हिंदू धर्म के मंत्र ही पढ़े गए। ओवैसी को शायद ये भी नहीं दिखा कि सेंगोल स्थापना के बाद सभी धर्मों की प्रार्थना सभा भी संसद परिसर में हुई। ओवैसी अपनी सियासत हमेशा हिंदू-मुस्लिम पर ही रखते आए हैं। इस बार संसद के उद्घाटन में भी उन्होंने यही राग छेड़ा है।