नई दिल्ली। महिला आरक्षण बिल लोकसभा से पास हो चुका है। आज राज्यसभा से भी इसके पास होने की पूरी उम्मीद है। बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस पर दस्तखत करेंगी और संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा। लोकसभा की मौजूदा सदस्य संख्या 543 को देखें, तो इतनी ही सीटें बनी रहीं, तो 181 सीटों पर महिलाओं को आरक्षण मिलेगा। वहीं, राज्यों की विधानसभाओं में महिला विधायकों की भागीदारी में अभूतपूर्व बढ़ोतरी होगी। इसकी वजह ये है कि 2022 के आंकड़ों के मुताबिक देश की 19 विधानसभाओं में महिला विधायकों की संख्या 10 फीसदी से भी कम थी।
मोदी सरकार में पहले कानून मंत्री रहे किरेन रिजिजू ने लोकसभा में 9 दिसंबर 2022 को राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के आंकड़े दिए थे। इन आंकड़ों के मुताबिक आंध्र प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, केरल, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, पुदुचेरी, मिजोरम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश की विधानसभाओं में महिला विधायकों की संख्या 10 फीसदी से भी कम थी। हिमाचल में तो महिला विधायक सिर्फ 1 है। जबकि, गुजरात विधानसभा में महिला विधायकों का प्रतिशत 8.2 है।
जिन राज्यों में महिला विधायकों की संख्या 10 फीसदी से ज्यादा है, वे हैं बिहार जहां 10.70 फीसदी महिला विधायक हैं। वहीं, छत्तीसगढ़ में 14.44 फीसदी, हरियाणा में 10, झारखंड में 12.35, पंजाब में 11.11, राजस्थान में 12, उत्तराखंड में 11.43, यूपी में 11.66, पश्चिम बंगाल में 13.70 और दिल्ली में 11.43 फीसदी महिला विधायक 2022 के आंकड़ों के हिसाब से विधानसभाओं में थीं। ऐसे में आरक्षण के जरिए महिलाओं को सभी राज्य विधानसभाओं में 33 फीसदी तक चुनकर आने का मौका मिलने जा रहा है। हालांकि, उनको महिला आरक्षण का फायदा 2027 में परिसीमन के बाद ही मिलेगा, लेकिन दशकों पुरानी एक बड़ी जंग तो महिलाओं ने जीत ही ली है।