Bhopal Gas Tragedy: सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से लाखों पीड़ितों की उम्मीदों पर फिरा पानी, जानें मामले में कब क्या-क्या हुआ

Bhopal Gas Tragedy: इस मामले में दोषियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई थी। मामले में संलिप्त फैक्ट्री में कार्यरत सात अधिकारियों की कोताही को ध्यान में रखते हुए उन्हें गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बताया जाता है कि मामले में मुख्य आरोपी पुलिस की गिरफ्त से दूर रहा, जिसके बाद वो विदेश भाग गया और इसके बाद गुमनामी भरी जिंदगी में उसकी मौत हो गई।

सचिन कुमार Written by: March 14, 2023 2:35 pm

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भोपाल गैस कांड से संबंधित केंद्र सरकार की क्यूरेटिव याचिका (उपचारात्मक याचिका) खारिज कर दी। याचिका में गैस कांड के पीड़ितों के आर्थिक हर्जाने की राशि को बढ़ाने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि 1989 में तय की गई मुआवजे की राशि वर्तमान में पीड़ित की विशाल संख्या के मद्देनजर पर्याप्त नहीं है। सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक, 1984 में हादसे के वक्त पीड़ितों की संख्या 2.05 लाख थी, जबकि अब यह बढ़कर 5.74 लाख हो गई है, जिसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उपाचरात्मक याचिका दाखिल कर मुआवजे की राशि बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने याचिका खारिज कर पीड़ितों के साथ –साथ केंद्र सहित राज्य सरकार को भी तगड़ा झटका दे दिया है। बता दें कि 2010 में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में गैस कांड के पीड़ितों के पक्ष में याचिका दाखिल की थी, जिसे अब खारिज कर दिया गया है। आइए, आगे रिपोर्ट में जानते हैं कि अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ है?

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आपको बता दें कि 1984, 2-3 दिसंबर की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हो गया था, जिससे सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा इस हादसे से उस वक्त कई लोग प्रभावित हुए थे। जिसमें से कुछ विकलांगता के शिकार हुए थे, तो कुछ को त्वचा संबंधी रोग हो गया था, तो कुछ लोगों की श्रवण क्षमता ही खत्म हो गई थी। बताया जाता है कि जब यह हादसा हुआ था, तो उस वक्त प्रदेश में महज दो सरकारी अस्पताल थे, जिसकी वजह से डॉक्टरों को भी समझ नहीं आ रहा था कि कैसे मरीजों का उपचार किया जाए, क्योंकि इस तरह का पहला मामला पहले कभी डॉक्टरों के पास नहीं आया था। हालांकि, उस वक्त जैसे-जैसे परिस्थितियों को नियंत्रित किया गया। यही नहीं, आज भी इस हादसे की तासीर कई लोगों में देखने को मिलती है।

वहीं, मामले में दोषियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई थी। मामले में संलिप्त फैक्ट्री में कार्यरत सात अधिकारियों की कोताही को ध्यान में रखते हुए गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बताया जाता है कि मामले में मुख्य आरोपी पुलिस की गिरफ्त से दूर रहा, जिसके बाद वो विदेश भाग गया और बाद में गुमनामी भरी जिंदगी में उसकी मौत हो गई। 1989 में कोर्ट ने पीड़ितों के लिए 725 करोड़ रुपए का हर्जना तय किया था, लेकिन साल 2010 में सरकार ने पीड़ितों के लिए अधिक मुआवजे की जरूरत को महसूस किया, जिसके सरकार ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और स्पष्ट कर दिया कि अब मुआवजे की राशि को नहीं  बढ़ाया जा सकता है। अब इस हादसे को पूरे 39 साल हो चुके हैं।

जानें कब क्या-क्या हुआ?

बता दें कि 4 मई 1989 को कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि यूनियन कार्बाइड को गैस त्रासदी के पीड़ितों को 725 करोड़ रुपए देने होंगे। हादसे में करीब 3 हजार से भी अधिक लोगों के मौत की बात कही गई थी। वहीं 2 लाख से भी अधिक लोग प्रभावित हुए थे। मामले की गहन तफ्तीश के लिए वेलफेयर कमीशन गठित की गई थी, जिसने साल 2022 में रिपोर्ट जारी कर 5,479 लोगों के मारे जाने की बात कही थी। उधर, रिपोर्ट में दावा किया गया था कि हादसे की चपेट में आकर 20 हजार से भी अधिक लोग विकलांग हुए थे। इसके अलावा 50 हजार से अधिक लोगों को मामूली चोटें आई थीं। हालांकि, दावा है कि बाद में यह आंकड़ा 5 लाख तक पहुंच गया था। इन्हीं सब बातों को आधार बनाकर कोर्ट में केंद्र ने याचिका दाखिल कर पीड़ितों के लिए मुआवजे की राशि बढ़ाने की मांग की थी।

उधर, अब यूनियन कार्बाइड को डाउ केमिकल्स ने खरीद लिया है। डाउ केमिकल्स की तरफ से पैरवी कर रहे वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि पीड़ितों के लिए अब जुर्माना बढ़ाने का कोई प्रावधान नहीं है। इसके अलावा पूर्व के नियमों में तब्दीली करने का कोई फायदा भी नहीं है, लेकिन आपको बता दें ति डाउ केमिकल्स की तरफ से कोर्ट में पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि अब पीड़ितों को एक रुपया भी सहायता के रूप में नहीं दिया जाएगा। ध्यान रहे इससे पहले जनवरी में कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। बहरहाल, अब मामले को लेकर क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।