
नई दिल्ली। मोदी सरकार संसद और विधायिकाओं में महिलाओं को 33 फीसदी सीटों पर आरक्षण देने का बिल लेकर आई है। लोकसभा में मंगलवार को कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Union Law & Justice Minister Arjun Ram Meghwal) ने ये बिल पेश किया था। इस बिल की खास बातें अब सामने आ रही हैं। महिला आरक्षण बिल के तहत राज्यसभा और राज्यों के विधान परिषदों में महिलाओं को आरक्षण नहीं मिलेगा। महिलाओं को आरक्षण देने के लिए रोटेशनल पद्धति अपनाई जाएगी। इसका मतलब है कि एक बार के कार्यकाल में जिन सीटों से महिलाएं चुनकर आएंगी, दूसरी बार चुनाव के वक्त महिला आरक्षण के तहत सीटें बदल जाएंगी।
#WATCH | Women’s Reservation Bill | Union Law & Justice Minister Arjun Ram Meghwal says, “…This Bill will enhance the dignity of women as well as equality of opportunities. Women will get representation. There are four important clauses…” pic.twitter.com/BDamDXOZdq
— ANI (@ANI) September 20, 2023
महिला आरक्षण बिल में सरकार ने एससी, एसटी को कोटा के भीतर कोटा देने का एलान किया है। अभी ओबीसी पर स्थिति साफ न होने से विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं। साथ ही सरकार ने बिल में साफ कर दिया है कि महिला आरक्षण को अगले 15 साल के लिए लागू किया जाएगा। जरूरी होने पर संसद से मंजूरी लेकर महिला आरक्षण को आगे भी चलाया जा सकता है। यानी 15 साल की समयसीमा से भी आगे महिला आरक्षण को जारी रखने का रास्ता मोदी सरकार ने अपने बिल के जरिए खुला रखा है। सरकार ने महिला आरक्षण को लागू करने के भी कई प्रावधान किए हैं।
मोदी सरकार ने संसद में महिला आरक्षण पर जिस बिल को पेश किया है, उसमें 2027 के परिसीमन के बाद ही इसे लागू करने की व्यवस्था है। इसका भी विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि महिला आरक्षण को कानून बनते ही तुरंत लागू किया जाए। मौजूदा 545 सदस्यों में आरक्षण के बाद महिलाओं की संख्या 181 होती है। सदस्यों की संख्या बढ़ने पर कई सीटों पर 2-2 सांसद चुने जाने की व्यवस्था होगी। इन 2 में से 1 सांसद महिला होगी। इस तरह उनको कुल सीटों में 33 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा।