
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी के शासनकाल में भारत ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि भारत में अत्यधिक गरीबों की तादाद 5 फीसदी के आसपास हो गई है। जबकि, 2012 में भारत में गरीबी 26 फीसदी से ज्यादा थी। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है कि साल 2022-2023 में भारत में अत्यधिक गरीबी सिर्फ 5.3 फीसदी रह गई है। जबकि, साल 2011-2012 में भारत में 27.1 फीसदी गरीबी थी। भारत की उपलब्धि इसलिए भी अहम है क्योंकि वर्ल्ड बैंक ने गरीबी की रेखा को रोजाना 3 डॉलर कमाई के हिसाब से तय किया है।
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है कि 2022-2023 में भारत में शहरी स्तर पर गरीबी 10.7 फीसदी से घटकर 1.1 फीसदी रह गई। वहीं, भारत के ग्रामीण इलाकों में पहले जहां अत्यधिक गरीबों की संख्या 18.4 फीसदी हुआ करती थी, अब ये घटकर 2.8 फीसदी रह गई है। इस तरह ग्रामीण और शहरी गरीबी का अंतर पहले के 7.7 फीसदी से कम होकर 1.7 फीसदी पर आ गया है। इससे पहले जनवरी 2024 को एशिया पैसिफिक ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट में बताया गया था कि 2019-2021 के बीच गरीबी 15 फीसदी पर आ गई है। जबकि, 2015-2016 में ये 25 फीसदी रही थी।
पीएम नरेंद्र मोदी के शासनकाल में कोरोना महामारी के दौरान केंद्र सरकार ने देश के 80 करोड़ गरीब परिवारों को हर महीने मुफ्त अनाज देने की योजना शुरू की थी। इस योजना को हर साल बढ़ाते हुए 2025 तक जारी रखने का भी पीएम मोदी ने फैसला किया था। हालांकि, तमाम लोग और विपक्ष ये सवाल उठाते रहे कि गरीबों को मुफ्त अनाज देकर उनको नाकारा बनाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी एक बार यही बात कही थी, लेकिन वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट से साफ है कि गरीबों को मदद देकर उनका जीवनस्तर सुधारने में मोदी सरकार की मुफ्त अनाज योजना ने बड़ी भूमिका निभाई है। पीएम मोदी खुद कह चुके हैं कि मुफ्त अनाज योजना के जरिए गरीबी का दंश काफी हद तक उखाड़ फेंकने में मदद मिली है। दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था बन चुके भारत के लिए ये उपलब्धि बहुत खास है। उम्मीद ये भी है कि जल्दी ही भारत में प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ेगी। भारत में साल 2022-2023 में प्रति व्यक्ति आय 98374 रुपए थी। जबकि, 2014-2015 में प्रति व्यक्ति आय 72805 रुपए आंकी गई थी।