नई दिल्ली। इतिहास की इबारतें बखूबी इस बात की तस्दीक करती हैं कि विलायती आक्रांताओं ने हमारे देश की मूल संस्कृति व ऐतिहासिक धरोहरों के समूल विनाश के लिए अपना सर्वत्र न्योछावर करने से गुरेज नहीं किया था। वर्तमान परिदृश्य के दृष्टिगत इन विलायती आक्रांताओं के इस दुस्साहस के पीछे की वजह पर विवचेना कर उनके त्रुटियों को सुधारने की दिशा में उपयुक्त कदम उठाकर हमें अपने भविष्यगत संतानों को इतिहास की त्रुटिरहित व उपयुक्त जानकारी उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। उक्त कदम उठाना इसलिए अपिहार्य है, चूंकि वर्तमान में हम अपने मूल इतिहास को लेकर दिगभ्रमित हो चुके हैं। लिहाजा इस भ्रम को दूर करने की दिशा में उपयुक्त कदम उठाने की आवश्यकता है। वहीं इस दिशा में केंद्र सरकार समेत विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा उठाए जा रहे कदम सराहनीय बताए जा रहे हैं।
विगत दिनों अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर जारी विवाद को खत्म कर जिस तरह मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया, वह न महज सराहनीय अपितु अनुकरणीय कदम भी है। अब इसी कड़ी में खबर है कि अयोध्या की तर्ज पर तेलंगाना में भी नरसिम्हा स्वामी का भव्य मंदिर यदाद्री बनकर तैयार हो चुका है। इस मंदिर में कई ऐसी खास बाते हैं, जो इसे अन्य मंदिरों की तुलना में खास पहचान प्रदान करती है। इसे अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर बनया गया मंदिर बताया जा रहा है। इसे अयोध्या में निर्माणधीन राम मंदिर सरीखी काया देने का प्रयास किया गया है। इसे दुनिया का दूसरा सबसे विराट, भव्य और विशाल मंदिर बताया जा रहा है। इस मंदिर की सौंदर्यता अन्यत्र किसी भी मंदिर की तुलना में काफी अधिक है।
मंदिर की आतंरिक रूपसज्जा श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देने वाली है। यह मंदिर अभी चर्चा का विषय बनी हुई है। यदाद्री मंदिर के निर्माण में कुल 1200 करोड़ रूपए की लागत आई है। वहीं, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में 1100 करोड़ रूपए की लागत आई है। जिससे यह साफ जाहिर होता है कि अयोध्या मंदिर के निर्माण की तुलना में यदाद्री मंदिर में अधिक लागत आई है। यदाद्री मंदिर के अंदर 140 किलो का सोना भी लगाया गया है। इसका निर्माण ब्लेक गेनाइट से किया गया है। इसे मंदिर का निर्माण इस तरह से किया गया है कि आगामी 1 हजार वर्षों तक इसकी विराट भव्यकता यथावत बनी रहेगी।
वहीं, मंदिर का निर्माण संपन्न होने का इसकी समीक्षा की जा चुकी है। मंदिर का पूरा जायजा लेने के बाद अब नए साल के शभवसर पर श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खोले गए हैं। श्रद्धालुओं में भी मंदिर दर्शन को लेकर उत्तेजना अपने चरम पर पहुंच चुकी है। श्रद्धालु भी मंदिर दर्शन को लेकर काफी ललायित हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि इसे शास्त्रों के दिशानिर्दशों के अनरूप बनाया गया है। वहीं, अब इसके दर्शन को लेकर श्रद्धालुओं में उत्तेजना अपने चरम पर है, तो ऐसे में ये देखना रोचक होगा कि श्रद्धालु दर्शन के बाद इस मंदिर के संदर्भ में क्या कुछ प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं।