लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अलीगढ़ में अब तक 36 लोगों की मौत के बाद राज्य के आबकारी आयुक्त आर. गुरुप्रसाद को हटा दिया गया है। इस आशय के आदेश सोमवार देर रात जारी किए गए। राज्य सरकार ने गभाना के पुलिस अंचल अधिकारी कर्मवीर सिंह को भी नकली शराब की बिक्री की जांच में ढिलाई बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया है। अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने बताया कि अंचल अधिकारी गभाना को न केवल निलंबित कर दिया गया है, बल्कि उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है।
अवस्थी ने बताया कि अंचल अधिकारी खैर, शिव प्रताप सिंह और अंचलाधिकारी नगर विशाल चौधरी से स्पष्टीकरण मांगा गया है, जिन्हें तीन दिन के भीतर जवाब देना होगा।
आबकारी विभाग ने संयुक्त आबकारी आयुक्त रविशंकर पाठक और उप आबकारी आयुक्त ओपी सिंह को निलंबित करते हुए दो और आबकारी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
आबकारी विभाग ने अलीगढ़ त्रासदी के सिलसिले में सात अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की है। सरकार ने अवैध शराब के खिलाफ एक विशेष अभियान का भी आदेश दिया है, जहां उत्तर प्रदेश पुलिस और आबकारी विभाग की संयुक्त टीम नकली शराब के निर्माण और बिक्री पर नकेल कसने के लिए जाँच करेगी।
अलीगढ़ में जहरीली शराब से अब तक हो चुकी है कई मौतें
अलीगढ़ के करसुआ गांव में जहरीली शराब से बड़ी संख्या में हुई मौतों के मामले में नया खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि अक्टूबर 2020 में जिस शराब के ठेके को बंद करने के लिए शिकायत की गई थी, उसी ठेके से शराब खरीदने के बाद अलीगढ़ में सबसे ज़्यादा मौतें हुई हैं। गांव के प्रधान ने ठेका बंद कराने को लेकर शिकायत दी थी। देशी शराब का ये ठेका करसुआ गांव में ही मौजूद है. लिखित शिकायत देने के बावजूद भी ठेके को बंद नहीं कराया गया था। इस ठेके से बेची गयी शराब से 20 लोगों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि करसुआ गांव के प्रधान रितेश उपाध्याय ने आबकारी विभाग से इस ठेके की शिकायत की थी। लेकिन इसके बाद भी विभाग ने इस ठेके को क्लीन चिट दे दी थी।