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RSS: ‘युवाओं को मिले उद्यमिता को प्रोत्साहन देने वाला वातावरण’- RSS

R.S.S: अ.भा.प्र.सभा का मानना था कि मानव केंद्रित, पर्यावरण के अनुकूल, श्रम प्रधान तथा विकेंद्रीकरण एवं लाभांश का न्यायसंगत वितरण करनेवाले भारतीय आर्थिक प्रतिमान (मॉडल) को महत्त्व दिया जाना चाहिए, जो ग्रामीण अर्थव्यवथा, सूक्ष्म उद्योग, लघु उद्योग और कृषि आधारित उद्योगों को संवर्धित करता है।

नई दिल्ली। इस वर्ष शुक्रवार दिनांक 11 मार्च से रविवार 13 मार्च तक गुजरात के कर्णावती में आयोजित हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिवर्ष होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में भारत के आज के हालातों पर चर्चा की गई। साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसे टॉप पर पहुंचाया जा सकता है, इसको लेकर भी मंत्रणा हुई। बैठक में कहा गया कि आज के भारत को अर्थव्यवस्था के उच्च स्तर पर ले जाने के लिए जितनी भी आवश्यक चीजें हैं, वे सभी मौजूद हैं। जैसे- प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता, मानवशक्ति की विपुलता और अंतर्निहित उद्यमकौशल। जरूरत है कृषि, विनिर्माण, और सेवा क्षेत्रों को परिवर्तित करते हुए कार्य के पर्याप्त अवसर उत्पन्न करने की।

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लाभांश का न्यायसंगत वितरण करनेवाले मॉडल को दिया जाना चाहिए महत्त्व

इसके अलावा अ.भा.प्र.सभा का मानना था कि मानव केंद्रित, पर्यावरण के अनुकूल, श्रम प्रधान तथा विकेंद्रीकरण एवं लाभांश का न्यायसंगत वितरण करनेवाले भारतीय आर्थिक प्रतिमान (मॉडल) को महत्त्व दिया जाना चाहिए, जो ग्रामीण अर्थव्यवथा, सूक्ष्म उद्योग, लघु उद्योग और कृषि आधारित उद्योगों को संवर्धित करता है। ग्रामीण रोजगार, असंगठित क्षेत्र एवं महिलाओं के रोजगार और अर्थव्यवस्था में उनकी समग्र भागीदारी जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा देना चाहिए। हमारी सामाजिक परिस्थिति के अनुरूप नई तकनीकी तथा सॉफ्ट स्किल्स को अंगीकार करने के प्रयास करना अनिवार्य है|

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विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करने की जरूरत

बैठक में कहा गया कि उच्च रोजगार क्षमता वाले हमारे विनिर्माण क्षेत्र को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है, जो आयात पर हमारी निर्भरता भी कम कर सकता है। शिक्षा और परामर्श द्वारा समाज, विशेषकर युवाओं में उद्यमिता को प्रोत्साहन देने वाला वातावरण देना चाहिए, ताकि वे केवल नौकरी पाने की मानसिकता से बाहर आ सकें। इसी प्रकार की उद्यमशीलता की भावना को महिलाओं, ग्रामीणों, दूरस्थ और जनजातीय क्षेत्रों में भी बढ़ावा देने की आवश्यकता है। शिक्षाविद्, उद्योग जगत के पुरोधा, सामाजिक नेतृत्व, समाज संगठन तथा विविध संस्थान इस दिशा में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं और उसके लिए यह आवश्यक है कि सरकारी तथा अन्य प्रयास इनके साथ मिलकर चलें। गौरतलब है कि उपरोक्त सारी बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिवर्ष होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में कही गई।