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Gujarat Election Results: गुजरात के मुस्लिम मतदाताओं को नहीं आया ओवैसी के आंसू पर भी तरस, AIMIM को मिले NOTA से भी कम वोट

Gujarat Election Results: चुनाव आयोग के मुताबिक, जमालपुर-खड़िया में कुल 2.31 मतदाताओं में से कुल 60 फीसद यानी की 1,35,000 लाख मतदाता मुस्लिम मतदाता हैं। ओवैसी को पूरी उम्मीद थी कि पार्टी को और किसी का नहीं तो मुस्लिम मतदाता का साथ जरूर मिलेगा।

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नई दिल्ली। गुजरात में बीजेपी ने अपने 27 साल के राज को फिर से कायम रखा। बीजेपी ने 158 सीटों पर विजयी पताका फहराकर अपनी जीत दोहराई है। कांग्रेस के खाते में 16 सीटें तो आप 4 और अन्य ने 3 सीटों पर जीत हासिल की है। गुजरात के चुनावी दंगल में मुख्तलिफ सियासी दलों ने अपनी किस्मत आजमाने के लिए सियासी दंगल में कूदे थे। जिसमें से कुछ दल ऐसी भी रहे। जिनकी दुर्गति खासा चर्चा में है। इन्हीं दलों में से एक ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन भी शामिल है। बता दें, गुजरात की जनता ने एआईएमआईएम को सिरे से खारिज कर दिया। वहीं जिन पर ओवैसी भरोसा जता रहे थे। उन्हीं लोगों ने उन पर भरोसा जताने से इनकार कर दिया। हालांकि, चुनाव से पूर्व ओवैसी को पूरा भरोसा था कि मुस्लिम मतदाताओं का साथ उन्हें जरूर मिलेगा, लेकिन अफसोस ऐसा हुआ नहीं।

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गुजरात चुनाव में एआईएमआईएम की हुई दुर्गति का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि पार्टी को नोटा से भी कम वोट मिले हैं। ओवैसी की पार्टी को मात्र 0.33 प्रतिशत मत मिले हैं। हैरानी की बात है कि गुजरात के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में रहने वाले मुस्लिम मतदाताओं ने भी ओवैसी की पार्टी पर भरोसा नहीं जताया जो ओवैसी के लिए चिंता का विषय है। ध्यान रहे, ओवैसी ने चुनाव प्रचार के दौरान प्रदेश में वैसे तो धुआं उड़ा दिया था। उन्होंने गुजरात की जनता को रिझाने की दिशा में एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था, लेकिन अफसोस उनकी यह कोशिश सूबे की जनता को रास नहीं आई। बता दें, साबिर काबलीवाला, जो कि एआईएमआईएम के अध्यक्ष हैं, उन्हें मात्र 12 फीसद मत मिले हैं। ऐसी स्थिति में आप ओवैसी की पार्टी की दरकती स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं।

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चुनाव आयोग के मुताबिक, जमालपुर-खड़िया में कुल 2.31 मतदाताओं में से कुल 60 फीसद यानी की 1,35,000 लाख मतदाता मुस्लिम मतदाता हैं। ओवैसी को पूरी उम्मीद थी कि पार्टी को और किसी का नहीं तो मुस्लिम मतदाता का साथ जरूर मिलेगा। लेकिन, अफसोस ओवैसी को अपने लोगों का भी साथ नहीं मिला, जिसने उनकी प्रसांगिकता को सवालों के घेरे में ला दिया है। सियासी पंडितों की मानें तो प्रदेश में मुख्य रूप से मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस बीच था। हालांकि, आम आदमी पार्टी अपने हस्तक्षेप से मुकाबले को त्रिकोणीय बनाना चाहती थी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। अहमदाबाद के जामा मस्जिद के इमाम ने भी बीते दिनों मीडिया से मखातिब होने के क्रम में गुजरात के चुनाव को कांग्रेस-बीजेपी को द्विपक्षीय मुकाबला बताया था।

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वहीं, अब गुजरात में बंपर जीत के बाद बीजेपी सरकार बनाने की रूपरेखा बनाने की दिशा में जुट चुकी है। खबर है कि 12 दिसंबर को सीएम भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। ध्यान रहे, सातवीं बार बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है और कांग्रेस की तमाम कोशिशें नाकाम हो गई। बहरहाल, अब आगामी दिनों में प्रदेश की सियासी स्थिति क्या रुख अख्तियार करती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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