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International Happiness Day 2023: अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस आज, जानिए क्यों मनाया जाता हैं इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे, और क्या हैं इसके महत्व

International Happiness Day 2023: ऐसा कहा जाता हैं कि जिस घर के लोग खुश रहते हैं उस घर के लोग काफी प्रगति करते हैं वैसे ही जिस देश के लोग सबसे ज्यादा खुश हैं वहीं देश प्रगति की राहों में जाता हैं। दरअसल, इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे को हर साल मनाने का संकल्प 20 जुलाई 2012 में संयुक्त राष्ट्र से पास हुआ था।

नई दिल्ली। जिंदगी में खुश रहना कितना जरूरी हैं ये तो हम सब जानते हैं। हर कोई किसी ना किसी समस्या से जूझ रहा होता हैं लेकिन कहते हैं ना कि हमें छोटी सी छोटी चीजों में भी खुश रहना चाहिए। इस टेंशन भरी दुनिया में हर किसी के पास गम बहुत हैं लेकिन फिर भी हमें सब कुछ भुला कर खुश रहना चाहिए क्योंकि अगर हम जरा सी भी टेंशन लेते हैं तो उसका असर हमारे पूरा बहुत बुरी तरह से पड़ता हैं कहते हैं ‘चिंता और चिता एक समान है’, भले ही इसमें एक बिंदु का अंतर हैं लेकिन इस बिंदु की वजह से ही बहुत कुछ बदल जाता हैं। हर साल 20 मार्च को अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस के रूप में मनाया जाता हैं जिससे लोग अपने इस टेंशन भरी जिंदगी में एक दिन खुश होने की वजह ढूंढे। वैसे तो हमें हर दिन खुश रहना चाहिए लेकिन इस दिन को सेलीब्रेट करके इंसान को याद रहे कि उसे खुश भी रहना हैं, खुद के लिए भी जीना हैं। आइए जानते हैं कि इस दिन को मनाना कब से शुरु किया गया और इसको मनाने के पीछे का उद्देश्य क्या था-

क्यों मानाया जाता हैं यह दिन-

ऐसा कहा जाता हैं कि जिस घर के लोग खुश रहते हैं उस घर के लोग काफी प्रगति करते हैं वैसे ही जिस देश के लोग सबसे ज्यादा खुश हैं वहीं देश प्रगति की राहों में जाता हैं। दरअसल, इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे को हर साल मनाने का संकल्प 20 जुलाई 2012 में संयुक्त राष्ट्र से पास हुआ था। अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस साल 2013 से मनाना शुरु किया गया। इसको मनाने का एक ही लक्ष्य था कि इससे लोग खुश रहने का महत्व समझे, और वजह खोजें। ऐसा कहा जाता हैं कि इस दिन को लाने के पीछे मशहूर समाजसेवी जेमी इलियन का हाथ माना जाता हैं।

इस साल की क्या हैं थीम

हम आपको बता दें कि हर साल हैप्पीनेस डे पर कोई ना कोई थीम रखी जाती हैं जैसे इस बार इस दिन का थीम ‘आगाह रहो, आभारी होना, दयालु हों। यानी हमें दयालु होना चाहिए हर किसी का आभारी रहें और हमें अपनी आंखों और दिमाग दोनों को खुले भी रखना चाहिए। वहीं पिछले साल की बात करें तो उस साल की थीम ‘शांत और समझदार’ बने। कहते हैं कई बार बहुत बड़े-बड़े काम क्रोध और मूर्खता की वजह से बिगड़ जाते हैं इसलिए हमें शांत रहना चाहिए। वहीं ऐसा भी कहा जाता हैं कि खुश रहना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार हैं।