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Parenting Tips: बच्चों की परवरिश करने में याद आ रही नानी?, ये आसान से टिप्स अपना कर आप भी बन सकते हैं कूल पैरेंट

Parenting Tips: बच्चों की परवरिश के दौरान कुछ पैरेंट्स चिढ़चिढ़े हो जाते हैं, और वो बच्चों पर चिल्लाते रहते हैं। ऐसा करने से बच्चों के मन में उनकी छवि एक विलेन के रूप में उभरने लगती है, साथ ही बच्चे अपने माता-पिता को जैसा व्यवहार करते देखते हैं वो भी वैसा ही करने लगते हैं।

नई दिल्ली। बच्चों की परवरिश करना आसान बात नहीं होती है। माता-पिता को अपनी बहुत सारी एनर्जी और समय खपाना पड़ता है। उन्हें अपनी कई आदतों, चीजों और पसंद का त्याग करना पड़ता है। फिर भी कहीं न कहीं कोई न कोई कमी रह ही जाती है। कुछ माता-पिता बच्चों की परवरिश के दौरान बहुत अधिक लचीले और लापरवाह हो जाते हैं, जिससे कई बार बच्चे बिगड़ जाते हैं। वहीं कुछ पैरेंट्स जरूरत से ज्यादा सख्त हो जाते हैं। ऐसे में बच्चों के मन में डर, आत्मविश्वास की कमी जैसी कमजोरियां घर करने लगती हैं। बच्चों की परवरिश के दौरान कुछ पैरेंट्स चिढ़चिढ़े हो जाते हैं, और वो बच्चों पर चिल्लाते रहते हैं। ऐसा करने से बच्चों के मन में उनकी छवि एक विलेन के रूप में उभरने लगती है, साथ ही बच्चे अपने माता-पिता को जैसा व्यवहार करते देखते हैं वो भी वैसा ही करने लगते हैं। यानी की आपकी गुस्से में चिल्लाने और जरा सा परेशान होने पर चिड़चिड़ाने की आदत बच्चों में भी पनपने लगती है। लेकिन कुछ छोटी-छोटी बातों को ध्यान देकर आप एक शांत और धैर्यशील पैरेंट बन सकते हैं। तो आइये जानते हैं कि कौन-सी हैं वो बातें जिन पर ध्यान देने की बहुत जरूरत है।

1. परवरिश के दौरान होने वाले तनाव के चलते कई बार पैरेंट्स का धैर्य छूट जाता है और वो इमोशनली कमजोर नजर आने लगते हैं। ऐसे में थोड़ा रूकें, खुद तो संभालें और उसके बाद बच्‍चे से बात करें।

2. ​पैरेंट्स को अपने भीतर सेंस ऑफ ह्यूमर की क्वालिटी डेवलप करनी चाहिए। ऐसे घरों में बच्‍चे खुशी-खुशी अपने दोस्‍तों घर बुलाते हैं। ऐसा करने वाले पैरेंट्स को बच्चे अपना दोस्त समझते हैं और अपनी बातें शेयर करने लगते हैं।

3. ओपन माइंड हों और अपने स्वभाव में थोड़ा लचीलापन लाएं। अगर बच्‍चे के साथ किसी मुद्दे पर आपके विचार अलग बन रहे हैं, तो इसके लिए कोई शांतिपूर्ण तरीका खोजें।

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4. बच्‍चों को आत्‍मनिर्भर बनाएं। उसे अपने फैसले खुद लेने दें। इससे बच्चे और पैरेंट्स के बीच के मतभेद कम हो सकते हैं।

5. बच्‍चों को अपने प्रयासों से ही सीखने दें। उसकी लाइफ को कंट्रोल करने की कोशिश ना करें। बच्‍चों की डेवलपमेंट और ग्रोथ को लेकर बहुत अधिक चिंता न करें। सभी बच्‍चे चिल्‍लाते और गुस्‍सा करते हैं। इन बातों पर उन्हें डांटने की बजाय उनकी जरूरतों को समझने और उनकी मदद करने की कोशिश करें।