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Teacher’s Day 2022: शिक्षक दिवस के मौके पर पढ़ें टीचर पर मशहूर शायरों द्वारा लिखे प्रसिद्ध शेर

Teacher’s Day 2022: बड़े-बड़े शायरों और लेखकों ने शिक्षक पर कई शेर और शायरियां भी लिखी हैं। तो आइए आज इस मौके पर देश के मशहूर शायरों द्वारा गुरू पर लिखे 10 प्रसिद्ध शेरों से अवगत कराते हैं। आप इनका इस्तेमाल करते हुए अपने शिक्षक को टीचर्स डे भी विश कर सकते हैं…

नई दिल्ली। हमारे जीवन से जुड़े सभी रिश्तों और संबंधों में शिक्षक का स्थान सबसे ऊंचा माना जाता है। जीवन में भविष्य की नींव रखने वाले शिक्षक की अहमियत को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। एक ओर जहां शिक्षा (Education) सफलता और प्रगति के रास्ते खोलती है। वहीं, शिक्षक (Teacher) शिष्य को उस रास्ते पर चलना सिखाते हैं। ये दिन हर साल सितंबर महीने की 5 तारीख को मनाया जाता है। शिक्षक दिवस पर सभी लोग अपने टीचर के इस दिन को खास बनाने का प्रयास करते हुए उन्हें सम्मान देते हैं और उन्हें तरह-तरह के उपहार भेंट करते हैं।इतना ही नहीं, शिक्षक को ईश्वर यूंही ईश्वर नहीं कहा गया है। गुरूजनों के सम्मान में पुराणों में कई श्लोक लिखे गए हैं। इसके अलावा, बड़े-बड़े शायरों और लेखकों ने शिक्षक पर कई शेर और शायरियां भी लिखी हैं। तो आइए आज इस मौके पर देश के मशहूर शायरों द्वारा गुरू पर लिखे 10 प्रसिद्ध शेरों से अवगत कराते हैं। आप इनका इस्तेमाल करते हुए अपने शिक्षक को टीचर्स डे भी विश कर सकते हैं…

अदब तालीम का जौहर है ज़ेवर है जवानी का

वही शागिर्द हैं जो ख़िदमत-ए-उस्ताद करते हैं

-चकबस्त ब्रिज नारायण

देखा न कोहकन कोई फ़रहाद के बग़ैर

आता नहीं है फ़न कोई उस्ताद के बग़ैर

-अज्ञात

जिन के किरदार से आती हो सदाक़त की महक,

उन की तदरीस से पत्थर भी पिघल सकते हैं।

-अज्ञात

अब मुझे मानें न मानें ऐ ‘हफ़ीज़’,

मानते हैं सब मिरे उस्ताद को।

-हफ़ीज़ जालंधरी

मां बाप और उस्ताद सब हैं खुदा की रहमत,

है रोक-टोक उन की हक़ में तुम्हारे ने’मत।

अल्ताफ़ हुसैन हाली

वही शागिर्द फिर हो जाते हैं उस्ताद ऐ जौहर,

जो अपने जान-ओ-दिल से ख़िदमत-ए-उस्ताद करते हैं।

लाला माधव जौहर

शागिर्द हैं हम मीर से उस्ताद के रासिख,

उस्तादों का उस्ताद है उस्ताद हमारा।

रासिख अजीमाबादी

रहबर भी ये हमदम भी ये ग़म-ख्वार हमारे,

उस्ताद ये क़ौमों के हैं मे’मार हमारे।

अज्ञात

किस तरह ‘अमानत’ न रहूँ ग़म से मैं दिल-गीर,

आँखों में फिरा करती है उस्ताद की सूरत।

अमानत लखनवी

ये फ़न्न-ए-इश्क़ है आवे उसे तीनत में जिस की हो,

तू जाहिद पीर-ए-नाबालिग है बे-तह तुझ को क्या आवे।

मीर तकी मीर