
नई दिल्ली। माता-पिता बनना जितना खूबसूरत एहसास है, वहीं बच्चों की परवरिश करना उतना ही मुश्किल काम। इस बात को लेकर न्यू पैरेंट्स कई बार स्ट्रेसफुल भी फील करते हैं। हाल ही पैरेंटिंग के एक न्यू ट्रेंड की शुरूआत हुई है, जिसे सिटरवाइजिंग का नाम दिया गया है। पैरेंटिंग का ये स्टाइल इंटरनेट पर आजकल काफी पॉपुलर हो रहा है। इसके कई फायदे देखने को मिल रहे हैं। साथ ही पैरेंट्स को बच्चों के साथ बॉन्ड बनाने में भी इंटरनेट पर यह पैरेंटिंग स्टाइल काफी पॉपुलर हो रहा है क्योंकि इससे पैरेंट्स को अपने बच्चों के साथ बॉन्ड बनाने में काफी हेल्प मिलती नजर आ रही है। सिटरवाइजिंग का प्रमुख उद्देश्य बच्चों द्वारा पैरेंट्स के साथ हैंगआउट करना और पैरेंट्स का अपने बच्चों को सुपरवाइज करने के लिए प्रेरित करना है।
क्या होता है सिटरवाइजिंग?
सिटवाइजिंग के जरिए माता-पिता बच्चों के इर्द-गिर्द मंडराने की बजाय बैठकर उन्हें देखने की कोशिश करते हैं। इसके माता-पिता बच्चों को सेंटर स्टेज देकर उन्हें परफार्म करने देते हैं और दूर से उन्हें मार्गदर्शन करते रहते हैं। सिटरवाइजिंग को एक तरह से हेलिकॉप्टर और फ्री रेंज पैरेंटिंग के बीच का ब्रिज कहा जा सकता है।
बच्चों के साथ हेल्दी और सेफ बॉन्ड कैसे बनाएं?
सिटरवाइजिंग का मतलब ये कतई नहीं कि बच्चों के माता-पिता उनके साथ उनके खेल में शामिल नहीं हो सकते हैं। एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि बच्चों के साथ खेलने से माता-पिता और बच्चों के बीच एक हेल्दी और सेफ बॉन्ड बनता है।
सिटरवाइजिंग के फायदा?
इससे माता-पिता अपने बचपन को तो वापस जी पाते ही हैं, बच्चों में भी कम्यूनिकेशन, सहानुभूति, प्रॉब्लम सॉल्विंग, फैसले लेने की क्षमता आदि गुण विकसित होते हैं, जो उनके सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है।