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Research: डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है ओमिक्रॉन से दोबारा संक्रमण होने का खतरा

Research: कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के आने की खबर के बाद से पूरी दुनिया में एक बार फिर से दहशत का माहौल देखा जा रहा है। यहां तक की वैज्ञानिक भी इस नए वैरिएंट की खबर आने के बाद से सकते हैं।

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन क आने की खबर के बाद से पूरी दुनिया में एक बार फिर से दहशत का माहौल देखा जा रहा है। यहां तक की वैज्ञानिक भी इस नए वैरिएंट की खबर आने के बाद से सकते हैं। ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर कई तरह के नए-नए अध्ययन भी सामने आ रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य संगठनों के एक समूह ने इस पर एक स्टडी भी की है। जिसमें यह दावा किया गया है कि इस नए ओमिक्रॉन वैरिएंट से दोबारा संक्रमण का खतरा डेल्टा या बीटा वैरिएंट के मुकाबले तीन गुणा ज्यादा है। यानी जो लोग कोरोना से संक्रमित है या हुए हैं उन लोगों में यह संक्रमण फैलने का खतरा कहीं ज्यादा अधिक है।

दक्षिण अफ्रीकी सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजिकल मॉडलिंग एंड एनालिसिस और नेशनल सेंटर फॉर कम्युनिकेबल डिजीज के मुताबित यह खोज ओमाइक्रोन की “पूर्व संक्रमण से प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता” का प्रमाण प्रदान करती है। दक्षिण अफ्रीका की स्वास्थ्य व्यवस्था द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर है। वहीं ओमिक्रॉन की संक्रमण से बचने की क्षमता के बारे में महामारी विज्ञान का पहला प्रमाण पेश भी किया गया है।

corona virus

वहीं इस मामले में सामने आई एक नई स्टडी में मार्च 2020 से 27 नवंबर तक नियमित निगरानी डेटा का इस्तेमाल किया गया है। 27 नवंबर तक पॉजिटिव टेस्ट वाले 28 लाख लोगों में से 35,670 संदिग्ध दोबारा इस वायरस की चपेट में आए थे। किसी शख्स के कोरोना से संक्रमित होने का मामला 90 दिनों के अंदर में आ जाता है तो इसे री-इंफेक्शन माना जाता है।