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Jallianwala Bagh: जलियांवाला बाग हत्याकांड की 104वीं बरसी आज, जानें इस क्रूरता के पीछे हैं किसका हाथ?

Jallianwala Bagh: पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग नाम की एक जगह हैं। जहां साल 1919 को अंग्रेजों ने अपनी इस क्रूरता को अंजाम दिया था। बैसाखी का दिन चल रहा था, जहां कई लोग अपने परिवारों के साथ मेला देखने पहुंचे थे। नेताओं का भाषण सुनने के लिए कई लोग वहां पहुंचे थे कि तभी जनरल डायर ने एंट्री ली और बाग को चारों तरफ घेर के वहां ब्रिटिश सैनिकों ने गोलियों की बरसात की।

नई दिल्ली। जलियांवाला बाग यह सुनते ही हर किसी के जहन में बस गोलियां और खून खराबा ही आता होगा। 104 साल पहले की इस घटना को आज तक कोई अपने दिमाग से नहीं निकाल पाया हैं। हर हिंदुस्तानी का दिल इस कश्मकश में फंसा होता हैं कि आज के दिन बैसाखी मनाए या फिर शहीदों की शहादत को याद किया जाए। आज के दिन यानी 13 अप्रैल की उस घटना को आज तक कोई भी नहीं भूल पाया हैं। 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर का जलियांवाला बाग जहां यह घटना हुई। इतिहास के पन्ने ना जाने कितने मासूम भारतीयों के खून से सने हुए हैं। घटना के 104 साल बाद भी कोई भी भारतीय इस घटना को नहीं भूल पाया हैं मानो आज भी उन मासूमों की चीख सुनाई देती हैं। तो चलिए जानते हैं क्या था जलियाँवाला बाग –

जलियांवाला बाग हत्याकांड

पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग नाम की एक जगह हैं। जहां साल 1919 को अंग्रेजों ने अपनी इस क्रूरता को अंजाम दिया था। बैसाखी का दिन चल रहा था, जहां कई लोग अपने परिवारों के साथ मेला देखने पहुंचे थे। नेताओं का भाषण सुनने के लिए कई लोग वहां पहुंचे थे कि तभी जनरल डायर ने एंट्री ली और बाग को चारों तरफ घेर के वहां ब्रिटिश सैनिकों ने गोलियों की बरसात की। गोलियों से कई भारतीय मर गए तो वहीं कुछ अपनी जान बचाने के लिए वहां एक कुएं में कूदने लगे लेकिन कुछ देर बाद वो कुआँ भी लाशों की ढेर से भर गया। हालांकि, शहीद होने वालों की संख्या आज भी किसी को नहीं पता हैं, फिर भी ऑफिशियल आंकड़ों की माने तो 1000 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।

क्या थी वजह?

दरअसल, उस दिन जलियांवाला बाग में अंग्रेजों की दमनकारी नीति, रोलेट एक्ट और सत्यपाल व सैफुद्दीन की गिरफ्तारी के खिलाफ एक सभा का आयोजन हुआ था। हालांकि, इस समय शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था। लेकिन फिर भी लोग कर्फ्यू के बीच भी सभा में शामिल होने पहुंचे थे। वहीं कुछ अपने परिवारों के साथ वहां मेला देखने आए थे। तभी जनरल डायर ने बिना चेतावनी दिए ही महज 10 मिनट में 1650 गोलियों की बरसात कर दी थी।