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Virat Kohli And Anushka Sharma Reached Vrindavan To Visit Saint Premananda Maharaj : टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा के बाद वृंदावन पहुंचे विराट कोहली, संत प्रेमानंद महाराज के किए दर्शन, पत्नी अनुष्का भी साथ

Virat Kohli And Anushka Sharma Reached Vrindavan To Visit Saint Premananda Maharaj : विराट कोहली को प्रेमानंद महाराज ने बहुत ही महत्वपूर्ण सीख दी है। प्रेमानंद महाराज ने बताया वैभव मिलना कृपा नहीं है, यह पुण्य है। पुण्य से एक घोर पापी को भी बहुत कुछ मिल जाता है। भगवान की कृपा मानी जाती है अंदर का चिंतन बदलना। किसी को भी वैराग्य होता है तो संसार की प्रतिकूलता देखकर होता है। इसलिए जब भी प्रतिकूलता आए तो उस समय आनंदित होना चाहिए कि मेरे ऊपर अब भगवान की कृपा हो रही है।

नई दिल्ली। टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा के एक दिन बाद भारत के स्टार क्रिकेटर विराट कोहली अपनी पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ आज वृंदावन पहुंचे। यहां उन्होंने पूज्य संत प्रेमानंद महाराज जी के केली कुंज आश्रम में जाकर उनके दर्शन किए। विराट कोहली और उनकी पत्नी अनुष्का ने सबसे पहले प्रेमानंद महाराज जी को दण्डवत प्रणाम किया। प्रेमानंद महाराज जी के यूट्यूब चैनल में विराट कोहली का वीडियो भी अपलोड किया गया है। प्रेमानंद महाराज ने विराट कोहली को बहुत ही महत्वपूर्ण सीख दी है। आइए आपको बताते हैं प्रेमानंद महाराज और विराट कोहली के बीच क्या वार्तालाप हुई-

प्रेमानंद महाराज ने सबसे पहले विराट कोहली से पूछा प्रसन्न हो, इस पर उन्होंने जवाब दिया ठीक हैं। फिर प्रेमानंद जी बोले, ठीक ही रहना चाहिए और उन्होंने विराट से कहा कि हम आपको अपने प्रभु का थोड़ा सा विधान बताते हैं। वैभव मिलना कृपा नहीं है, यह पुण्य है। पुण्य से एक घोर पापी को भी बहुत कुछ मिल जाता है। भगवान की कृपा मानी जाती है अंदर का चिंतन बदलना जिससे अनंत जन्मों के संस्कार भस्म होकर और अगला बड़ा उत्तम होगा। लेकिन अब हमारा स्वभाव बर्हिमुखी हो गया है जैसे बाहर की यश, कीर्ति, लाभ, विजय इससे हमें सुख मिलता है। लेकिन भगवान जब कृपा करते हैं तो संत समागम देते हैं और दूसरी जब कृपा होती है तो विपरीतता देते हैं और फिर अंदर से एक रास्ता देते हैं कि यह परमशांति का मेरा रास्ता है। भगवान वो रास्ता दिखाकर जीव को अपने पास बुला लेते हैं।

विराट और अनुष्का की प्रेमानंद महाराज से मिलते हुए फाइल फोटो

प्रेमानंद महाराज ने आगे बताया कि बिना प्रतिकूलता के संसार का राग नष्ट नहीं होता। किसी को भी वैराग्य होता है तो संसार की प्रतिकूलता देखकर होता है। जब सब हमारे अनुकूल है तो हम उसका भोग करते हैं लेकिन जब प्रतिकूलता आती है तब ठेस पहुंचती है तब भगवान अंदर से रास्ता देते हैं। इसलिए जब भी प्रतिकूलता आए तो उस समय आनंदित होना चाहिए कि मेरे ऊपर अब भगवान की कृपा हो रही है।