newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Deepak Chahar: भारत और साउथ अफ्रीका के बीच खेले गए अंतिम मैच में दीपक चाहर की दरियादिली देख फैंस हुए खफा, सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

Deepak Chahar: दीपक चाहर ने उन्हें सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया जिसको लेकर सोशल मीडिया पर हड़कंप मचा हैं। कुछ को खिलाड़ी की ये दरियादिली अच्छी लगी तो कुछ चहर से नाराज भी दिखें। इससे पहले भारतीय महिला क्रिकेट टीम दिप्ती शर्मा ने चार्ली डीन को भी कुछ इसी तरह रन आउट किया था जिस पर काफी लोगों ने सवाल भी उठाए थे।

नई दिल्ली। साउथ अफ्रीका के खिलाफ टीम इंडिया को तीसरे और आखिरी मैच में हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, भारत ने यह सीरीज 2-1 से अपने नाम कर ली थी। भारत और साउथ अफ्रीका के बीच खेले गए अंतिम मैच में जब दीपक चाहर अपना 16वां ओवर लेकर आए। तभी उन्होंने एक ऐसा काम किया जिसे देख सब हैरान रह गए।  दरअसल, जब दीपक चाहर बॉलिंग करने वाले थे। तभी उनकी नजर नॉन स्ट्राइकर पर पड़ी। जिसके बाद बॉलर के पास साउथ अफ्रीकी बल्लेबाज को मांकड़ रनआउट करने का मौका था। लेकिन दीपक चाहर ने उन्हें सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया। जिसको लेकर सोशल मीडिया पर हड़कंप मच गया हैं। कुछ को खिलाड़ी कि ये दरियादिली अच्छी लगी तो कुछ चहर से नाराज भी दिखें। इससे पहले भारतीय महिला क्रिकेट टीम दिप्ती शर्मा ने चार्ली डीन को भी कुछ इसी तरह रन आउट किया था। जिस पर काफी लोगों ने सवाल भी उठाए थे। इस मैच में भारत की निराश करने वाली गेंदबाज़ी और ऋषभ पंत और दिनेश कार्तिक का ग़ैर ज़िम्मेदार शॉट लगाकर आउट होने की चर्चा तो हुई है, इसी के साथ दीपक चाहर की भी चर्चा हो रही है।

यह देखकर निराशा हुई कि दीपक चाहर के पास नॉन-स्ट्राइकर रन आउट को अंजाम देने की हिम्मत नहीं थी

मुझे #DeepakChahar बहुत पसंद है। लेकिन यह देखना निराशाजनक है कि एक राष्ट्रीय खिलाड़ी विकेट लेने का मौका गंवा देता है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इस तरह के परोपकारी कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है।

खेल की भावना अपने सर्वश्रेष्ठ पर

दीपक चाहर ने मांकड़ (रन आउट) नहीं किया

Same to sane energy

हम आपको बता दें कि, स्टब्स बॉल फेकने से पहले ही क्रीज के बाहर जा चुके थे। तब दीपक चहर ने यह देखा और बॉल फेकने से पहले रुके और बॉल को लेकर स्टम्प की ओर करने लगे लेकिन उन्होंने बॉल को स्टम्प में छुआया नहीं बस स्टब्स को वार्निंग दी थी। आईसीसी के नए नियम जो 1 अक्टूबर से लागू हुए हैं, उनके मुताबिक यह सिर्फ रनआउट ही माना जाएगा. यानी इसे मांकड़ भी नहीं कह सकते हैं और इसमें अब खेल भावना का कोई जिक्र नहीं होगा। नियमों के अनुसार यह पहले भी रनआउट की श्रेणी में था।