नई दिल्ली। अब इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहेंगे कि आज की तारीख में अधिकांश युवा वर्ग नौकरी की तलाश में दिल्ली, मुंबई, हरियाणा और कर्नाटक जैसे राज्यों की ओर रूख करते हैं, जिसकी वजह से इन राज्यों के स्थानीय बाशिंदों के हितों पर कड़ा प्रहार होता है, जिसे लेकर वहां के लोगों में रोष भी देखने को मिलता है, जो कि लाजिमी है। यह इसी रोष का नतीजा है कि हरियाणा में यह मांग उठी कि वहां के युवाओं को निजी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था मिले। युवाओं ने आरक्षण की सीमा 75 फीसद किए जाने की मांग की। बाद में इस मांग ने आंदोलन का रूप धारण किया, जिसके बाद पूरा मामला कोर्ट में पहुंचा, जहां आज इस पर सुनवाई हुई ।आइए, आगे जानते हैं कि आखिर कोर्ट ने इस पर क्या फैसला सुनाया है?
आपको बता दें कि कोर्ट ने इस पर जो फैसला सुनाया है, उससे वाकिफ होने के बाद हरियाणा के युवा काफी निराश हो गए। दरअसल, याचिकाकर्ताओं के वकीलों में से एक, भान ने कहा कि यह तर्क दिया गया था कि हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों का रोजगार अधिनियम, 2020 संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 का उल्लंघन करता है।
उधर, कोर्ट में इस याचिका के विरोध में दूसरी कई जो भी याचिका दाखिल हुई थी, उसे अब खारिज कर दिया गया है। इसके साथ ही कोर्ट ने हरियाणा सरकार के उस कानून को भी रद्द कर दिया, जिसमें युवाओं को 75 फीसद आरक्षण दिए जाने की मांग की गई थी। बहरहाल, कोर्ट के इस फैसले को उन सभी युवाओं के लिए बड़े राहत के रूप में देखा जा रहा है, जो कि नौकरी की तलाश में दिल्ली, मुंबई और हरियाणा जैसे राज्यों का रुख करते हैं। बहरहाल, अब आगामी दिनों में कोर्ट का यह फैसला क्या रुख रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।