
लंदन। इंग्लैंड के खिलाफ एजबेस्टन टेस्ट में 10 विकेट लेकर तेज गेंदबाज आकाशदीप सिंह चमके, तो उन्होंने कैंसर से पीड़ित अपनी बहन को इंग्लैंड के खिलाफ अपना शानदार प्रदर्शन समर्पित किया। आकाशदीप ने कहा कि जब भी उनको विकेट मिलता, बहन की याद आ जाती। आकाशदीप सिंह सिर्फ अपनी बहन के इलाज के लिए तमाम कोशिश कर रहे हैं। वहीं, अब उनकी अब तक की जिंदगी की दुश्वारियों की कहानियां भी सामने आई हैं। इन सबसे जूझकर आकाशदीप किस तरह छा गए, ये सभी को प्रेरणा देने वाला है।
भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज आकाशदीप का मूल निवास बिहार के रोहतास जिले का बड्डी गांव है। वो 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ हुई आजादी की पहली जंग के नायक शहीद बाबू निशान सिंह के वंशज हैं। निशान सिंह अंग्रेजों के दांत खट्टे कर प्राणों की आहुति देने वाले वीर कुंवर सिंह के सेनापति थे। अंग्रेजों ने बाबू निशान सिंह को बिहार के कैमूर से गिरफ्तार किया था। फिर सासाराम में तोप के मुंह से बांधकर उड़ा दिया था। आकाशदीप के पिता रामजी सिंह सासाराम में ही टीचर थे। आकाशदीप की मां का नाम लाडूमा देवी है। आकाशदीप को बचपन से ही क्रिकेट का शौक था। ऐसे में मां ने उनको ट्रेनिंग दिलाने भेज दिया। इसके बाद साल 2015 में आकाशदीप के परिवार पर बड़ी मुसीबत आ गई।
आकाशदीप के पिता रामजी सिंह को पैरालिसिस थी। साल 2015 में आकाशदीप के पिता का निधन हो गया। उसी साल आकाशदीप के बड़े भाई धीरज सिंह को मलेरिया हुआ। धीरज सिंह मलेरिया से मुकाबला करते रहे, लेकिन उनकी भी जान चली गई। आकाशदीप का परिवार गरीबी में रहा। आकाशदीप पर परिवार को पालने की जिम्मेदारी आ गई। उन्होंने इसके बावजूद भी क्रिकेट में ऊंची उड़ान भरने के सपने को बनाए रखा। आकाशदीप से बड़े चार भाई-बहन और हैं। आकाशदीप ने बंगाल के दुर्गापुर से क्रिकेट में आगे बढ़ने की राह तय की। पश्चिम बंगाल की अंडर-23 क्रिकेट टीम में उनको मौका मिला। आकाशदीप ने 2017-2018 के सीजन में 42 विकेट लिए। फिर रणजी ट्रॉफी में भी उनका शानदार ग्राफ रहा। साल 2022 में आकाशदीप आईपीएल की रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु यानी आरसीबी टीम से जुड़े। वहां उनका प्रदर्शन इंडिया-ए टीम तक ले गया। शानदार प्रदर्शन की बदौलत अब आकाशदीप सिंह भारतीय क्रिकेट टीम के साथ इंग्लैंड का दौरा कर रहे हैं और दूसरे ही टेस्ट में अपनी गेंदबाजी का जौहर दिखाया है।