![CWG 2022: लक्ष्य सेन ने बैडमिंटन में मलेशिया के खिलाड़ी को हराकर देश को दिया सोना, अल्मोड़ा का गोल्डन बॉय बना CWG में भारत का प्रतीक](https://hindi.newsroompost.com/wp-content/uploads/2022/08/Laksha-sen--1000x600.jpg)
नई दिल्ली। पीवी सिंधु के बाद मेंस एकल में भारत के एक और युवा शटलर खिलाड़ी लक्ष्य सेन ने देश के खाते में एक और गोल्ड मेडल डाल दिया है। इस दौरान उनका मुकाबला मलेशिया के यॉन्ग से था और इन दोनों खिलाड़ियों के बीच काटे की टक्कर देखने को मिली। इस दौरान कभी लक्ष्य सेन आगे तो कभी मलेशिया के जे योंग मैच में बढ़त लेते हुए नजर आए। लेकिन भारत की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए इस खिलाड़ी ने विरोधी के गोल्ड जीतने वाले सपने वाले पर पानी फेरते हुए CWG के फाइनल में भारत को सोना दिलवाया। संघर्षपूर्ण रहे पहले गेम में लक्ष्य सेन को मलेशिया के खिलाड़ी ने 21-19 से हरा दिया। इसके बाद दूसरा गेम भी काफी टक्कर का रहा। लेकिन लक्ष्य ने इसको 21-9 के बड़े अंतर जीतने में कामयाब रहे। इसी को जारी रखते हुए लक्ष्य सेन ने तीसरे गेम को भी जीत लिया। इसके साथ ही ये भारत के खाते में 20वां गोल्ड है। इस बड़ी उपलब्धी के बाद भारत समेत उनके ग्रह राज्य उत्तराखंड के अल्मोड़ा में भी जश्न का माहौल है।
?LAKSHYA ACHIEVED ?!!
Our young sensation @lakshya_sen clinches the GOLD after a solid comeback, winning 2-1 (19-21 21-9 21-16) against Tze Yong (MAS) in the Badminton MS Gold Medal bout at the #CommonwealthGames2022?#Cheer4India pic.twitter.com/FdSw6dWXrG
— SAI Media (@Media_SAI) August 8, 2022
कौन हैं लक्ष्य सेन?
कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत को गोल्ड दिलाने वाले लक्ष्य सेन का जन्म अल्मोड़ा के एक मध्यम वर्गी परिवार में 16 अगस्त 2001 को हुआ था। उनका परिवार बीते 80 वर्षों से अल्मोड़ा के तिलकपुर मोहल्ले में रह रहा है। लक्ष्य के अलावा उनके पिता व दादाजी भी बैडमिंटन खेल चुके हैं। एक तरफ जहां पिता डीके सेन भी वर्तमान में कोच हैं तो वहीं, दूसरी तरफ उनके दादा भी सिविल सर्विसेस में राष्ट्रीय स्तर की बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं। इसके अलावा अपने समय में उन्होंने कई खिताब अपने नाम किए और लक्ष्य सेन को बैडमिंटन मे करियर बनाने की प्रेरणा उनके दादाजी से ही मिली। दादा ने अपने पोते का हाथ पकड़कर बैडमिंटन पकड़ना सिखाया। इसके बाद ही इस हौनहार खिलाड़ी ने दादा व पिता के नक्से कदम पर चलकर शटलर में ये बड़ी उपलब्धी हासिल की। इससे पहले भी लक्ष्य सेन ने राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक अपने नाम किए। इसके बाद ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पैठ जमाई। लक्ष्य सेन ने महज 10 वर्ष की उम्र में इजराइल में पहला इंटरनेशनल खिताब के रुप में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद इस शटलर खिलाड़ी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज नतीजा आप सभी लोगों के सामने है।