newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

लॉकडाउन के चलते धाविका प्राजक्ता को पड़े रोटी के लाले, पिता हुए लकवाग्रस्त

कोरोना महामारी को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लागू है। लॉकडाउन में कई लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। इसी सूची में नागपुर की धाविका प्राजक्ता गोडबोले का नाम भी शामिल है। जिन्हें रोटी के लाले पड़ गए हैं।

नागपुर। कोरोना महामारी को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लागू है। लॉकडाउन में कई लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। इसी सूची में नागपुर की धाविका प्राजक्ता गोडबोले का नाम भी शामिल है। जिन्हें रोटी के लाले पड़ गए हैं।

प्राजक्ता ने 2019 में इटली में विश्व विद्यालय खेलों की 5000 मीटर रेस में भारतीय विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने 18:23।92 सेकंड का समय निकाला था लेकिन वह फाइनल के लिए क्वालिफाई नहीं कर सकी थीं। लॉकडाउन के कारण प्राजक्ता की मां बेरोजगार हैं जबकि पिता कुछ समय पहले लकवाग्रस्त हो गए थे। चौबीस वर्षीय प्राजक्ता नागपुर में सिरासपेठ झुग्गी में माता-पिता के साथ रहती हैं।

runner prajakta godbole

साल के शुरू में हुई टाटा स्टील भुवनेश्वर हाफ मैराथन में 1:33.05 सेकंड के समय से दूसरे स्थान पर रही थीं। उनके पिता विलास गोडबोले पहले सुरक्षाकर्मी का काम करते थे, लेकिन वह एक दुर्घटना के बाद लकवाग्रस्त हो गए। प्राजक्ता की मां अरुणा रसोइये के तौर पर काम करके 5000 से 6000 रूपये महीना तक कमाती थीं। इससे उनका घर चलता था। लॉकडाउन की वजह से शादियां नहीं हो रहीं तो उन्हें दो जून का खाना जुटाने के लिए दिक्कत हो रही है।

runner prajakta godbole

लॉकडाउन ने किया बर्बाद

प्राजक्ता ने कहा,‘हम पास के लोगों की मदद पर ही निर्भर हैं। वे हमें चावल, दाल और अन्य चीजें दे जाते हैं। इसलिए हमारे पास अगले दो-तीन दिन के लिए खाने को कुछ होता है लेकिन नहीं पता कि आगे क्या होगा। हमारे लिए यह लॉकडाउन काफी क्रूरता भरा साबित हो रहा है। मैं ट्रेनिंग के बारे में सोच भी नहीं रही हूं क्योंकि मैं नहीं जानती कि इन हालात में मैं कैसे जीवित रहूंगी। हमारे लिए जीवन बहुत कठिन है। इस लॉकडाउन ने हमें बर्बाद कर दिया है। मैं नहीं जानती कि क्या करूं, मेरे माता-पिता कुछ नहीं कर सकते। हम सिर्फ प्रार्थना ही कर सकते हैं कि यह लॉकडाउन खत्म हो जाए। हम बस इसका इंतजार कर रहे हैं।’