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Nari Contractor: एक गेंद ने खत्म कर दिया था भारतीय क्रिकेट टीम के इस कप्तान का करियर, हादसे के 6 दिन बाद आया था होश

Nari Contractor: साल 1934 में जन्में नरी कॉन्ट्रेक्टर के लिए भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेला गया एक टेस्ट मैच भारतीय टीम के तत्कालीन कप्तान के लिए आखिरी साबित हुआ। इस मुकाबले के बाद वह कभी भी भारत के लिए खेल नहीं पाए।

नई दिल्ली। क्रिकेट प्रेमियों के मन में नरी कॉन्ट्रेक्टर का नाम हमेशा बसा रहेगा। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान नरी कॉन्ट्रेक्टर (Nari Contractor) का नाम आपमें से भी बहुत लोगों ने सुना होगा। ये भारत के वो बदकिस्मत कप्तान हैं, जिनका करियर सिर्फ एक सेंकड में खत्म हो गया। साल 1934 में जन्में नरी कॉन्ट्रेक्टर के लिए भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेला गया एक टेस्ट मैच भारतीय टीम के तत्कालीन कप्तान के लिए आखिरी साबित हुआ। इस मुकाबले के बाद वह कभी भी भारत के लिए खेल नहीं पाए। तब तक नरी दस टेस्ट मैचों में भारत का नेतृत्व कर चुके थे, वो न सिर्फ़ टीम के प्रमुख बल्लेबाज थे, बल्कि पारी की शुरुआत भी करते थे और उनकी तेज गेंदबाज़ी खेलने की क्षमता के बारे में किसी को कोई संदेह नहीं था।

एक गेंद ने खत्म किया था करियर

नरी कॉन्ट्रैक्टर को क्रिकेट जगत में एक ऐसा बदकिस्‍मत भारतीय सितारा कहा जाता है, जिनके पास टैलेंट भी था, मौका भी मिला, मगर किस्‍मत ने उनका साथ नहीं दिया। साल 1961-62 में टीम इंडिया वेस्ट इंडीज के दौरे पर थी, जो भारतीय कप्‍तान नरी कॉन्ट्रैक्टर के लिए आखिरी दौरा साबित हुआ। इस मैच के दौरान उनके साथ कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद वे कभी भी भारतीय टीम के लिए मैच नहीं खेल पाये। दरअसल, किंगस्‍टन में खेले गए सीरीज के दूसरे मैच में उनके सिर पर वेस्‍टइंडीज के तेज गेंदबाज चार्ली ग्रिफित की बाउंसर लग गई। उस एक गेंद की वजह से नारी को अपना करियर गंवाना पड़ गया।

सिर पर गेंद लगने के बाद नरी कॉन्ट्रैक्टर 6 दिनों तक बेहोश रहे। कई घंटों तक उनकी जिंदगी खतरे में रही। उनका काफी खून बह गया था। भारतीय खिलाड़ियों के अलावा कैरेबियाई कप्‍तान ने भी उन्‍हें अपना खून दिया। उनकी जिंदगी तो बच गई मगर उनका करियर हमेशा के लिए खत्म हो गया।

आज भारतीय टीम के तत्कालीन कप्तान नरी कॉन्ट्रेक्टर का 80वां जन्मिदन है। उनका जन्म 7 मार्च 1934 में हुआ था। वह शुरुआत से ही क्रिकेट के दीवाने थे और उन्होंने भारत के लिए 1955 में पहला टेस्ट मैच खेला, जो न्यूजीलैंड के साथ खेला गया। लेकिन 1958-59 में वेस्टइंडीज के खिलाफ 92 की पारी से वे सुर्खियों में आए थे। इसके बाद 1959 में इंग्लैंड दौरे से भी कॉन्ट्रेक्टर ने छाप छोड़ी। उस बड़े हादसे ने भले ही नरी कॉन्ट्रेक्टर को शारीरिक तौर पर ज़ख्म दिए, लेकिन वह मानसिक तौर पर क्रिकेट के मैदान पर लौटने को बेचैन थे।

दो साल बाद जब वह मैच फिट हुए, तो उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलना शुरू किया। लेकिन तमाम कोशिश के बावजूद उन्हें टीम इंडिया में दोबारा मौका नहीं मिल सका। अपने टेस्ट करियर में भारत के इस पूर्व कप्तान ने 31 टेस्ट में 1611 रन के साथ उनका करियर खत्म हो गया। हालांकि फर्स्ट क्लास करियर में उन्होंने काफी रन बनाए। मगर बदकिस्मती रही कि उनका अंतरराष्ट्रीय करियर उस चोट ने खत्म करके रख दिया।