Nikhat Zareen Gold Medal CWG: कभी छोटे कपड़े पहनकर प्रैक्टिस करने पर निकहत के खिलाफ जहर उगलते थे कट्टरपंथी, आज देश के नाम मेडल जीतकर दिया मुंहतोड़ जवाब

कॉमनवेल्थ गेस्म में निकहत द्वारा किए गए इस कारनामे के बाद अब उनसे पेरिस 2024 के ओलंपिक में उनसे गोल्ड की उम्मीद करना नगवार नहीं रहेगा। जिस तरह का अद्भत और शानदार प्रदर्शन उन्होंने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ में किया है, उसकी चौतरफा प्रशंसा हो रही है, उनके नाम तारीफ कसीदे पढ़े जा रहे हैं और इसके साथ ही उन कट्टरवादी ताकतों का भी जिक्र किया जा रहा है।

सचिन कुमार Written by: August 7, 2022 10:11 pm

नई दिल्ली। बर्मिंघम में हो रहे कॉमनवेस्थ गेम्स में भारत का तिरंगा ऊंचा करने वाली निकहत जरीन ने देश को गोल्ड मेडल दिलाने के साथ-साथ उन सभी कट्टरपंथियों को भी तगड़ा पंच जड़ दिया है, जो कि कल तक उनके और उनके परिवार की आलोचना करने से नहीं थकते थे। कभी निकहत को निशाने पर लिया करते थे। कभी उन्हें पर्दे में रहने की हिदायत दिया करते थे। यही नहीं, छोटे-छोटे कपड़े पहनकर उनके प्रैक्टिस करने पर भी कट्टरपंथी उन्हें निशाने पर लेते थे, लेकिन निकहत और उनका परिवार यह सबकुछ सहता रहता था और ऐसा एक या दो बार नहीं, बल्कि कई मर्तबा हो चुका था, लेकिन आज जब कॉमनवेल्थ गेम्स में निकहत ने अपने विरोधी खिलाड़ी को पंच मारकर देश को गोल्ड दिलाया है, तो ऐसा करके उन्होंने ना महज भारत की झोली में गोल्ड की बरसात की है, बल्कि इस गोल्ड के जरिए उन्होंने उन सभी कट्टरवादियों को भी हद में रहने की हिदायत दे डाली है, जो कि कल तक उन्हें निशाने पर लिया करते थे।

nikhat zareen gold

वहीं, कॉमनवेल्थ गेस्म में निकहत द्वारा किए गए इस कारनामे के बाद अब उनसे पेरिस 2024 के ओलंपिक में उनसे गोल्ड की उम्मीद करना नगवार नहीं रहेगा। जिस तरह का अद्भत और शानदार प्रदर्शन उन्होंने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ में किया है, उसकी चौतरफा प्रशंसा हो रही है, उनके नाम तारीफ कसीदे पढ़े जा रहे हैं और इसके साथ ही उन कट्टरवादी ताकतों का भी जिक्र किया जा रहा है, जो कि कल तक उन्हें निशाने पर लेने से गुरेज नहीं करते थे। बता दें कि निकहत अपने ताबड़तोड़ मुक्कों से प्रतिद्वंद्वी कार्ली मैकनॉल को टिकने नहीं दिया और 50 किलोग्राम फाइनल का गोल्ड जीता है।

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आपको बता दें कि इससे पहले निकहत ने तुर्की के इस्तांबुल में हुई विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप की फ्लाईवेट (52 किलाग्राम) स्पर्धा में गोल्ड जीता था। मगर कॉमनवेल्थ गेम्स में 52 किलोग्राम की बजाय 50 किलोग्राम वर्ग होता है। इसके लिए उऩ्हें दो किलोग्राम वजन भी कम करना पड़ा था, जो कि उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। इसके साथ ही अगर निकहत के प्रशिक्षण की बात करें, तो उन्होंने 14 जून 1996 को आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) के निजामाबाद में मुहम्मद जमील अहमद और परवीन सुल्ताना के घर पैदा होने वाली निकहत को बचपन से ही खेलों में उनकी दिलचस्पी शुरू से ही थी, जिसे देखते हुए उन्होंने महज 13 साल की उम्र से ही बॉक्सिंग शुरू कर दी और आज यह उसी का परिणाम है कि वे इस मुकाम पर है।