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बिहार के छात्रों की जगहंसाई: नकल में नहीं किया अक्ल का इस्तेमाल, गूगल का विज्ञापन भी कर लिया कॉपी

बता दें कि कोरोना के प्रकोप को ध्यान में रखते हुए कॉलेज प्रशासन ने परीक्षा आयोजित कराने पर असमर्थता जताते हुए छात्रों को घरों पर भी परीक्षा कराने का विकल्प सुझाया। बस… छात्रों ने घरों से होने जा रही परीक्षा का लाभ उठाते हुए नकली मारने का रास्ता निकाल लिया।

नई दिल्ली। मौका मिले तो पूछिएगा कभी, अपने पिताजी, दादाजी, मामाजी या चचाजी से, की पहले के जमाने में 10वीं पास करने में लोगों के पसीने छूट जाते थे। उन दिनों 10वीं पास करने का मतलब था जंग जीत जाना, लेकिन आज तो हालात बिल्कुल विपरीत हैं। आज तो जहां देखिए वहीं आपको स्नातकधारी वीरान सड़कों पर अपने कांधों पर अपनी डिग्रियों का बोझ लिए टहलते दिखते हैं। लेकिन पहले तो स्नातक की डिग्रियों के पास होने का मतलब होता था कि समझिए की कोई बड़ा खजाना हाथ लग गया है, लेकिन पहले और अब में एक बड़ा अंतर आ चुका है और वो अंतर निजी प्रतिभा का है। बेशक, पहले लोग कम ही पढ़े लिखे होते थे, लेकिन जितना भी शिक्षार्जन उन्होंने किया होता था, उसका उन्हें संपूर्ण ज्ञान होता था। लेकिन आज विभिन्न प्रकार की डिग्रियों के बोझ से लदे लोगों में उक्त प्रतिभा अभाव दिखता है। जिसका ताजा उदारहण हाल ही में हुए वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में स्नातक के विधार्थियों के परीक्षाओं की सूरत-ए-हाल से दिखा है।

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बता दें कि कोरोना के प्रकोप को ध्यान में रखते हुए कॉलेज प्रशासन ने परीक्षा आयोजित कराने पर असमर्थता जताते हुए छात्रों को घरों पर भी परीक्षा कराने का विकल्प सुझाया। बस…छात्रों ने घरों से होने जा रही परीक्षा का लाभ उठाते हुए नकली मारने का रास्ता निकाल लिया। उन्होंने इंटरनेट की दुनिया में फैले संसार का फायदा उठाते हुए छात्रों ने जमकर नकली मारी। आप मतलब इतना सब समझ लीजिए प्रश्न पत्र पर दिए गए सारे प्रश्न धराधर कर लिए। शायद ही कोई ऐसा छात्र रहा था जो प्रश्न छोड़ने की गलती की हो। लेकिन, इन छात्रों से एक चूक हो गई। जिसने अपने-अपने साथ-साथ पूरे यूनिवर्सिटी का पलीता लगा दिया।

हो गई छात्रों से ऐसी चूक

छात्रों ने गूगल से नकल मारते समय उत्तर के अलावा अन्य चीजों मसलन विज्ञापन देखो, यहां क्लिक करिए, अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक, पूरा विज्ञापन यहां देखिए, इन सभी बातों को भी छात्रों ने अपने पेपर में उतार लिया। जिससे छात्रों ने अपनी फजीहत करवा ली। ये सभी छात्र 2019-22 के सत्र के स्नातक के छात्र हैं। फिलहाल, यह खबर अभी खासा सुर्खियों में बनी हुई है। लोग इस पर अलग-अलग तरह से अपनी प्रतिक्रिया देते हुए नजर आ रहे हैं। इस मसले ने यह बात तो साबित कर दी कि नकल मारने के लिए भी अक्ल की जरूरत होती है।