नई दिल्ली। कहते है न कि जब मशीनें और आधुनिकता इंसानो से आगे निकल जाए तो समझ लीजिए मानव सभ्यता खतरे में है। अब इसी कहावत को AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सच करने पर तुला है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जिसको बनाया तो इंसानो के कामो को आसान करने के लिए था, लेकिन आज के समय में AI का इतना गलत इस्तेमाल हो रहा है कि जिसकी कोई सीमा ही नही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल लोग अच्छे कामो को करने के बजाए किसी व्यक्ति को बदनाम करने के लिए ज्यादा कर रहे हैं। अब इसी को लेकर यूरोपिन यूनियन ने हाल ही में एक कानून बनाने का फैसला किया है, जो AI के गलत हो रहे उपयोगो पर लगाम लगाएगा।
पहले Deepfake के जरिए लोगों के चेहरे बदल कर इसका दुरुपयोग हो रहा था और अब आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इस AI की मदद से महिलाओं की तस्वीर से कपड़े हटाए जा रहे हैं। सोशल नेटवर्किंग एनालिसिस साइट ग्राफिका (Graphika) ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में दावा किया है कि AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के जरिए महिलाओं की तस्वीरों से कपड़े हटाने वाली साइट और एप का इस्तेमाल काफी बढ़ रहा है, जो कि काफी चिंताजनक है।
ग्राफिका के मुताबिक केवल सितंबर 2023 में ऐसी वेबसाइट्स और एप पर 2.4 करोड़ लोगों ने विजिट किया है और AI का इस्तेमाल कर महिलाओं की तस्वीरों से छेड़छाड़ कर उनके कपड़े हटाए हैं। ग्राफिका की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सोशल मीडिया पर अनड्रेसिंग एप्स और साइट का प्रचार भी खूब तेजी से हो रहा है। लेकिन कोई इसे रोकने वाला नहीं है। बता दें कि इनका प्रचार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स, रेडिट और फेसबुक पर भी किया जा रहा है। इन सर्विसेस का इस्तेमाल ज्यादातर महिलाओं की तस्वीरों से कपड़े हटाने के लिए किए जा रहे हैं।
तो चलिए आपको इसके खतरे के बारे में भी बता देते हैं। इन एप और साइट्स के जरिए कोई भी किसी भी महिला की तस्वीर से कपड़े हटा सकता है, जिसका इस्तेमाल वो उस महिला को ब्लैकमेल करने के लिए भी कर सकता है। इसका इस्तेमाल डीपफेक पॉर्नोग्राफी में भी किया जा रहा है, इसमें फोटो के साथ साथ वीडियो में भी महिलाओं के कपड़ो के साथ छेड़छाड़ की जा रही है, जिसको गलत इरादे से किसी अश्लील साइट पर भी डाल दिया जाता है। जिसके कारण उस व्यक्ति का जीना दुश्वार हो जाता है। सामज में इज्जत तार-तार हो जाती है। अब देखने वाली बात है कि सभी देशो की सरकारें इस नए खतरे को रोकने के लिए क्या कुछ कदम उठाती है। क्योंकि ये सिर्फ एक देश की समस्या नही हैं, इसकी चपेट में विश्व के सभी देश हैं।