नई दिल्ली। जैक डोरसी ने ट्विटर के सीईओ का पद छोड़ दिया है। इस पद पर अब आईआईटी बॉम्बे और स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाले पराग अग्रवाल हैं, लेकिन ट्विटर में पद छोड़ने वाले जैक डोरसी हमेशा भारत में याद रखे जाएंगे। इसकी वजह है विवाद। ट्विटर के साथ भारत में इतने विवाद जैक के कार्यकाल के दौरान हुए कि उनके पद छोड़ने के बाद भी लोगों को वो याद रहेंगे। भारत से ट्विटर के विवाद की शुरुआत एक नक्शे से हुई थी। ट्विटर ने भारत का गलत नक्शा लगा दिया था। केंद्र की मोदी सरकार ने इस पर ट्विटर को नोटिस जारी करने की तैयारी कर ली थी। जिसके बाद ट्विटर ने नक्शे को हटा दिया। ट्विटर इससे पहले भी पीओके और चीन के कब्जे वाले लद्दाख को भारत से अलग दिखा और बता चुका था। ट्विटर पर लगातार आरोप लगते रहे कि वो कुछ खास हैंडल्स को बंद कर देता है या उन्हें सस्पेंड कर देता है। जैक के कार्यकाल में ऐसा होता रहा, लेकिन हद तब हो गई, जब इस साल ट्विटर ने तत्कालीन आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद के हैंडल को एक घंटे के लिए ब्लॉक कर दिया था। इस पर सरकार ने गंभीर रुख अपनाया, तो ट्विटर ने मंत्री का हैंडल दोबारा चालू किया।
ट्विटर और मोदी सरकार के बीच नए आईटी कानूनों को लेकर भी तनातनी की स्थिति रही। ट्विटर ने कहा कि वो अमेरिकी कंपनी है और वहां के कानून ही मानेगी। इस पर मामला कोर्ट तक गया। दरअसल, मोदी सरकार ने कंपनी को शिकायत के लिए एक अफसर रखने के निर्देश दिए थे। ट्विटर लंबे समय तक इस नियुक्ति से कतराता रहा था। बहरहाल, बाद में ट्विटर ने मोदी सरकार के सामने झुकते हुए पहले धर्मेंद्र चतुर और फिर जेरेमी कैसल को शिकायत अधिकारी बनाया।
अब पराग अग्रवाल ट्विटर के नए सीईओ बने हैं। देखना ये है कि उनके कार्यकाल में ट्विटर किसी विवाद में घिरता है या नहीं। साथ ही जैक के जमाने में जिस तरह मनमाफिक तरीके से ट्विटर हैंडल्स के खिलाफ कार्रवाई होती थी, उसे पराग अब रोकते हैं या उनके दौर में भी ट्विटर की चाल-ढाल जैक डोरसी के जमाने वाली ही रहती है।