सांता बारबरा। गूगल ने क्वांटम कम्प्यूटिंग में बड़ी छलांग लगाई है। गूगल ने विलो नाम के अपने नए चिप का एलान किया है। गूगल ने अमेरिका के सांता बारबरा में अपने क्वांटम लैब में विलो नाम का नया चिप बनाया है। गूगल का विलो चिप गणित के जटिल समस्याओं को सिर्फ 5 मिनट में हल कर देगा। जबकि, ऐसा करने में आज के सुपर कम्प्यूटरों को 10 सेप्टिलियन यानी 1025 साल लगेंगे। गूगल क्वांटम एआई को हेड करने वाले हार्टमर्ट नेवेन ने विलो चिप को बनाने का एलान करते हुए कहा कि कंपनी इस मामले में ब्रेक ईवेन प्वॉइंट से प्रगति कर ली है।
गूगल के मुताबिक उसके नए विलो चिप में 105 क्यूबिट यानी क्वांटम कम्प्यूटेशन की मूलभूत इकाई है। क्यूबिट कम्प्यूटिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले बिट्स से तेज होते हैं। हालांकि, इनमें उप परमाण्विक कणों के कारण गड़बड़ियां भी होती हैं। हार्टमर्ट नेवेन के अनुसार इन गड़बड़ियों ने विलो चिप बनाने की राह में बड़ी बाधा भी पैदा की। इन परमाण्विक कणों के कारण चिप का क्यूबिट बढ़ने पर प्रदर्शन में कमी देखने को मिलती है। गूगल ने बताया कि विलो चिप के क्यूबिट्स को सावधानी से जोड़ा गया। इससे क्यूबिट्स की संख्या बढ़ने के बाद भी गड़बड़ी की दर को कम किया जा सका।
गूगल ने विलो चिप के बारे में दावा किया है कि उसने 5 मिनट से कम में ही 10000000000000000000000000000 साल में कम्प्यूटिंग किए जाने को हासिल कर लिया। ये ब्रह्मांड की उम्र से कहीं ज्यादा है। गूगल का विलो चिप डेविड ड्यूश की ओर से प्रस्तावित मल्टीवर्स सिद्धांत के अनुरूप बताया गया है। गूगल का कहना है कि विलो चिप वास्तविक समय में गड़बड़ियों को कम कर सकता है। इससे क्वांटम कम्प्यूटिंग संबंधी मशीनों को व्यावहारिक बनाया जा सकेगा। विलो चिप बनाकर गूगल का इरादा माइक्रोसॉफ्ट जैसी अन्य कंपनियों के मुकाबले कम्प्यूटर क्रांति लाना है। गूगल के विलो चिप निर्माण से चिकित्सा, बैटरी और एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में क्वांटम कम्प्यूटिंग का दायरा और बढ़ेगा। साथ ही इन क्षेत्रों में तरक्की भी होगी।