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Mobile Tariff: इसी साल फिर उपभोक्ताओं को और झटका दे सकती हैं मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियां, रिपोर्ट के मुताबिक फिर बढ़ाएंगी रिचार्ज के रेट!

Mobile Tariff: हाल ही में मोबाइल सेवा देने वाली निजी कंपनियों ने रिचार्ज के रेट 25 फीसदी तक बढ़ाए। इससे आम लोगों की जेब पर असर पड़ा, लेकिन मामला यहीं थमता नजर नहीं आ रहा है। इस साल दिसंबर तक मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियां एक बार फिर रिचार्ज के रेट बढ़ा सकती हैं।

नई दिल्ली। हाल ही में मोबाइल सेवा देने वाली निजी कंपनियों ने रिचार्ज के रेट 25 फीसदी तक बढ़ाए। इससे आम लोगों की जेब पर असर पड़ा, लेकिन मामला यहीं थमता नजर नहीं आ रहा है। केयरएज रेटिंग्स के मुताबिक इस साल दिसंबर तक मोबाइल सेवा देने वाली निजी कंपनियां फिर रिचार्ज के रेट में बढ़ोतरी कर सकती हैं। इससे आम लोगों की जेब पर और बोझ बढ़ने की आशंका है।

भारत में मोबाइल कॉल रेट और डेटा दुनिया में सबसे सस्ता है, लेकिन लगातार कंपनियां अपने रेट बढ़ाती जा रही हैं। केयरएज रेटिंग्स के मुताबिक मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियां प्रति यूजर औसत आय यानी एआरपीयू को 300 रुपए तक ले जाना चाहती हैं। बीते दिनों मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियों ने अपने रिचार्ज के रेट में जो बढ़ोतरी की, उससे उनका एआरपीयू बढ़कर 182 रुपए हो गया। केयरएज रेटिंग्स के अनुसार अब मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियां एक बार फिर अपने रेट बढ़ाएंगी और ऐसा करके एआरपीयू को 220 तक ले जाएंगी। यानी रिचार्ज के रेट में करीब 15 फीसदी की और बढ़ोतरी होने वाली है।

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केयरएज रेटिंग की रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर तक रिचार्ज के रेट लगातार बढ़ाकर एआरपीयू को मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियां 300 रुपए तक ले जाएंगी। दरअसल, मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियों ने 5जी तकनीकी लॉन्च करने के बाद इसके रेट ज्यादा नहीं बढ़ाए थे। जबकि, 5जी का स्पेक्ट्रम हासिल करने के लिए कंपनियों ने हजारों करोड़ लगाए। अब वे सस्ते में डेटा और कॉल नहीं देना चाहतीं। भारत में बीते 10 साल में मोबाइल डेटा का इस्तेमाल 4 गुना बढ़ा है। लोग मोबाइल के इस डेटा के जरिए तमाम काम करते हैं। अब डेटा सिर्फ मनोरंजन हासिल करने का जरिया ही नहीं रह गया है। ऑनलाइन पढ़ाई और बैंकिंग समेत जरूरी काम में भी मोबाइल के डेटा का इस्तेमाल किया जाने लगा है।