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Sandeshkhali Case : क्या है संदेशखाली केस जिसमें फेल होने पर जा सकती है ममता दीदी की कुर्सी !

सुंदर महिलाओं को चुनकर उनका यौन शोषण करना और उनकी जमीन हड़पने का ये केस सामने आने के बाद ममता सरकार पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं । इस बीच, नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल्ड कास्ट यानि NCSC की टीम संदेशखाली पहुंची और वहां की स्थिति पर राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपी ।

पश्चिम बंगाल के नॉर्थ 24 परगना जिले का संदेशखाली गांव बीते कई हफ्तों से राजनीतिक हंगामे का केंद्र बना हुआ है । TMC के स्थानीय नेता शाहजहां शेख के पर लगे महिलाओं के यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर विरोध प्रदर्शन का गवाह ये गांव बना हुआ है । आप भी बीते कई दिनों से संदेशखाली में महिलाओं के प्रदर्शन और दुष्कर्म के खिलाफ उनके हल्ला बोल से जुड़ी अलग अलग मीडिया रिपोर्ट्स लगातार टीवी न्यूज चैनल, अखबारों और डिजिटल मीडिया में भी देख रहे होंगे । संदेशखाली की कहानी वाकई में रूह कंपा देने वाली है और यही वजह है कि ये मामला सीएम ममता बनर्जी के गले की फांस भी बन गया है । सुंदर महिलाओं को चुनकर उनका यौन शोषण करना और उनकी जमीन हड़पने का ये केस सामने आने के बाद ममता सरकार पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं । इस बीच, नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल्ड कास्ट यानि NCSC की टीम संदेशखाली पहुंची और वहां की स्थिति पर राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपी । अब ममता बनर्जी के लिए चिंता की बात ये है कि NCSC ने अपनी इस रिपोर्ट में अनुच्छेद 338 के तहत पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है । तो क्या अनुच्छेद 338 के तहत ममता बनर्जी की कुर्सी जा सकती है ये आपको बताएंगे लेकिन इससे पहले ये जान लेते हैं कि संदेशखाली का ये पूरा केस आखिर है क्या ? बीते महीने ED ने राशन घोटाला केस में TMC नेता शाहजहां शेख के ठिकानों पर छापेमारी की थी । इस दौरान ईडी की टीम पर भी हमला हुआ था । तभी से शाहजहां शेख फरार है । इसके बाद संदेशखाली की महिलाओं ने शाहजहां शेख और उसके साथियों पर यौन उत्पीड़न, हिंसा और जमीन हड़पने जैसे गंभीर आरोप लगाए । महिलाओं का कहना था कि शाहजहां शेख के लोग गांव में घर घर जाकर सर्वे करते थे । घर में कोई सुंदर महिला या लड़की नजर आती तो वो उसे पार्टी ऑफिस ले जाकर कई रातों तक अपने पास रखते थे । आरोप ये भी लगे कि TMC के पार्टी ऑफिस में महिलाओं और लड़कियों का रेप किया जाता था । इसके बाद बीजेपी इस मामले में ममता सरकार पर हमलावर हो गई और उनके इस्तीफे की मांग की जाने लगी । लेकिन अब NCSC की सिफारिश के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या ममता दीदी की कुर्सी अनुच्छेद 338 के तहत जा सकती है ? असल में, संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत NCSC को देश में एससी समुदाय की संवैधानिक सुरक्षा के उपायों के कामकाज की रिपोर्ट हर साल राष्ट्रपति को सौंपनी होती है । NCSC के चीफ अरुण हलदर के मुताबिक, अगर राज्य सरकार किसी वर्ग के अधिकारों की रक्षा करने में फेल हो जाती है तो इस आधार पर उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है । पश्चिम बंगाल दूसरा सबसे ज्यादा एससी आबादी वाला राज्य है । ऐसे में ममता बनर्जी की कुर्सी पर तलवार जरूर लटक रही है ।