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Who is Abhilash Tomy : कौन है ये कमांडर जो धरती का चक्कर लगाने वाले पहले भारतीय बना ?

अभिलाष गोल्डन ग्लोब रेस को पूरा करने वाले पहले रिटायर्ड भारतीय कमांडर बन गए हैं । उन्होंने 236 दिन 14 घंटे और 46 मिनट तक नौकायन यानी सेलिंग की और इस दौरान वो फ्रांस और साउथ अफ्रीका भी पहुंचे । इससे पहले कमांडर टॉमी बिना रुके पृथ्वी का चक्कर लगाने वाले पहले भारतीय का तमगा भी हासिल कर चुके हैं ।

आज जब पीएम मोदी केवड़िया में सरदार पटेल की जयंती के मौके पर देश को संबोधित कर रहे थे तब उन्होंने एक बात कही थी कि ऐसा कोई संकल्प नहीं जिसे हम भारतीय सिद्ध नहीं कर सकते । ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जिसे हम भारतीय हासिल न कर सकें । भारतीयों के इसी जज्बे की मिसाल एक बार फिर देखने को मिली है । अभिलाष टॉमी, ये नाम शायद आपने अब से पहले न सुना हो लेकिन जो कारनामा उन्होंने किया है उसके बाद आप भी उन्हें सलाम करेंगे । अभिलाष गोल्डन ग्लोब रेस को पूरा करने वाले पहले रिटायर्ड भारतीय कमांडर बन गए हैं । उन्होंने 236 दिन 14 घंटे और 46 मिनट तक नौकायन यानी सेलिंग की और इस दौरान वो फ्रांस और साउथ अफ्रीका भी पहुंचे । इससे पहले कमांडर टॉमी बिना रुके पृथ्वी का चक्कर लगाने वाले पहले भारतीय का तमगा भी हासिल कर चुके हैं । रक्षा मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कमांडर टॉमी ने जीजीआर 22 में दूसरा स्थान हासिल कर नया इतिहास बनाया है और इसके साथ ही वो दौड़ पूरा करने वाले पहले एशियाई भी बन गए । 4 सितंबर 2022 को तट छोड़ने के बाद वह 236 दिन से भी ज्यादा समय तक नौकायन कर दक्षिण अफ्रीका के पहुंचे । इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर सोमवार को नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने उन्हें सम्मानित किया । अभिलाष टॉमी ने भारतीय नौसेना के सागर परिक्रमा के अगले संस्करण के रूप में अकेले पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करने के लिए जलयात्रा की तैयारी कर रही दो नौसेना महिला अधिकारियों के लिए सलाहकार और कोच का पदभार संभाला है । 5 फरवरी 1979 को जन्मे अभिलाष टॉमी केरल के कोट्टायम जिले के रहने वाले हैं । अभिलाष अकेले ही नौका पर पृथ्वी की समुद्री परिक्रमा करने वाले पहले भारतीय और दूसरे एशियाई शख्स हैं । वे कई अंतर्राष्ट्रीय इवेंट्स में आजतक हिस्सा ले चुके हैं । इससे पहले 2013 में भी कमांडर टॉमी आईएनएसवी महादेई जहाज पर बिना रुके पृथ्वी का चक्कर लगाने वाले पहले भारतीय बने थे । उन्होंने गोल्डन ग्लोब रेस 18 में भी हिस्सा लिया था, लेकिन रास्ते में आए तूफान के कारण उनकी पीठ में गंभीर चोट लगी जिसके बाद उन्हें हटना पड़ा लेकिन 5 साल बाद अपनी रीढ़ में एक टाइटेनियम रॉड और पांच जुड़ी हुई वर्टिब्रा के साथ, उन्होंने अपनी मजबूत इच्छा शक्ति से इस कड़ी परीक्षा में सफलता हासिल करते हुए जीजीआर 22 में अदम्य सहनशक्ति, धैर्य और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया । कमांडर टॉमी समेत मात्र तीन प्रतिभागी ही दौड़ पूरी कर सके, बाकी तकनीकी विफलताओं या दुर्घटनाओं के कारण वो बीच में ही बाहर हो गए । गोल्डन ग्लोब रेस यानि जीजीआर का आयोजन उन पहले नाविक सर रॉबिन नॉक्स जॉन्सटन के सम्मान में किया जाता है जिन्होंने 1968 में अकेले नॉन-स्टॉप दुनिया की जलयात्रा दौड़ पूरी की थी ।