नई दिल्ली। मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू चीन से लौटने के बाद भारत को तेवर दिखा रहे हैं। कह रहे हैं कि हमें कोई छोटा मुल्क समझने की खता ना करें, नहीं तो आपको भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। हालांकि, मुइज्जू ने अपने बयान में कहीं पर भी भारत का जिक्र नहीं किया, लेकिन चीन की सरजमीं से हमवतन लौटने के बाद मुइज्जू ने जिस तरह का अंदाज और तेवर दिखाया है, उसे देखते हुए माना जा रहा है कि वो भारत को आंखें दिखा रहे हैं और इसमें उनकी भरपूर मदद चीन कर रहा है। वैश्विक समुदाय में इस बात को लेकर चर्चा है कि चीन भारत-मालदीव के बीच जारी मौजूदा राजनयिक तनाव का सहारा लेकर अपना हित साधना चाह रहा है, जिसके लिए वो मोइज्जू को एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। आइए, एक बार आपको पूरा माजरा जरा विस्तार से बताते हैं कि आखिर इसकी शुरुआत कहां और कैसे हुई?
दरअसल, बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लक्षद्वीप दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने खुद को सियासी झंझावतों से दूर रखते हुए कुछ वक्त तन्हाई में बिताए और समुद्री हिलोरों का लुत्फ उठाया, जिनकी तस्वीरें प्रधानमंत्री ने खुद सोशल मीडिया पर साझा कीं, जिस पर लोग अलग-अलग तरह से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं, लेकिन इस बीच मालदीव के तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी के लक्षद्वीप दौरे पर अशोभनीय टिप्पणी कर दी, जिसके बाद चौतरफा बवाल हो गया। इतना ही नहीं, इस विवादित टिप्पणी की भारत ने भी निंदा की और कड़ी कार्रवाई की मांग की, जिसके बाद मालदीव सरकार ने पीएम मोदा पर विवादास्पद टिप्पणी करने वाले तीन मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया। बता दें कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति ने पीएम मोदी पर की गई विवादास्पद टिप्पणी की भत्सर्ना कर कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। पूर्व राष्ट्रपति ने यह भी कहा था कि मालदीव और भारत के बीच रिश्ते हमेशा से ही मधुर रहे हैं। यही नहीं, कई मुश्किल परिस्थितियों में भारत ने मालदीव का समर्थन किया है। ऐसे में अपने किसी नेता के बचकाने बयान की वजह से अपने रिश्ते खराब नहीं करने चाहिए।
उधर, इस पूरे मुद्दे को लेकर भारत में भी सियासी बवाल हो गया। भारत में आम से लेकर खास लोगों ने मालदीव के तीन मंत्रियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई अशोभनीय टिप्पणी की निंदा की और मालदीप जाने का विरोध किया, जिसका नतीजा यह हुआ कि पर्यटन उद्योग के मोर्चे पर मालदीप को तगड़ा झटका लगा, क्योंकि मालदीव के पास अर्थ का बड़ा भंडार पर्यटक के क्षेत्र से ही आता है। वहीं, जब यह सबकुछ घट रहा था, उस वक्त चीन ने बिना कोई मौका गंवाए आग में घी डालने का काम किया। चीन दोनों देशों के बीच जारी राजनयिक विवाद से अपना हित साधने का प्रयास किया, जिसे ध्यान में रखते हुए बीते दिनों चीन ने मुइज्जू को बुलावा भेजा। वहीं, चीन दौरे से लौटने के बाद मुइज्जू ने भारत को आंखें दिखाने का प्रयास किया है।