
नई दिल्ली। दुनिया में बढ़ते युद्ध संकट और वैश्विक तनावों के बीच, आज दिल्ली के फॉरेन करेस्पोंडेंट्स क्लब में आयोजित एक अहम प्रेस वार्ता में सात प्रमुख धर्मों के धर्मगुरुओं ने शांति के लिए एकजुट होकर वैश्विक नेताओं से युद्ध की राह छोड़कर संवाद और समझदारी की अपील की। इस अवसर पर वैश्विक शांति के लिए समर्पित डॉ. के.ए. पॉल ने सभी धर्मगुरुओं के साथ मिलकर अमेरिका, इज़रायल, ईरान और दुनिया की प्रमुख संस्थाओं से आग्रह किया कि वे समय रहते कदम उठाएं और मानवता को विनाश की कगार से बचाएं।
डॉ. पॉल, जो अब तक 155 देशों की यात्रा कर राष्ट्राध्यक्षों और प्रधानमंत्रियों से मिलकर शांति प्रयासों में लगे रहे हैं, ने कहा, “मैंने जीवन में बहुत कुछ देखा, लेकिन आज जैसी गंभीर स्थिति पहले कभी नहीं देखी। राष्ट्रपति ट्रंप, प्रधानमंत्री नेतन्याहू और ईरानी नेतृत्व—अब भी वक्त है, बात कीजिए, युद्ध रोकिए।” उन्होंने यह भी बताया कि वह इस प्रेस वार्ता के तुरंत बाद न्यूयॉर्क रवाना होंगे ताकि संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों और वैश्विक नेताओं से आगे की रणनीति पर चर्चा कर सकें।
भारत के यहूदी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हुए रब्बी ईजेकिएल इसहाक मालेकर ने कहा, “भारत वह देश है जहां यहूदियों ने कभी भेदभाव नहीं झेला। मैं पहले भारतीय हूं, फिर यहूदी। यह भारत की ताकत है।” उन्होंने भविष्यवाणी के शब्दों का हवाला देते हुए कहा, “हथियारों को हल में बदलना होगा। अब युद्ध नहीं, शांति चाहिए।” उन्होंने यह भी बताया कि वह डॉ. पॉल के साथ सूडान की संसद में 2011 में शामिल हुए थे और शांति के संदेश में भागीदार रहे हैं।
जैन आचार्य लोकेश मुनि ने कहा, “हमारी अपील है कि राष्ट्रपति ट्रंप, प्रधानमंत्री नेतन्याहू, ईरान और हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद पहल करें। रक्तपात के बाद नहीं, उससे पहले बातचीत होनी चाहिए।” उन्होंने डॉ. पॉल को इस शांति पहल के आयोजन के लिए धन्यवाद भी दिया।
तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु और पूर्व संसद अध्यक्ष आचार्य येशी फुंत्सोक ने कहा, “आज जब विश्व संकट में है, तो संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद की चुप्पी शर्मनाक है। क्या ये संस्थाएं केवल नाम के लिए हैं?” उन्होंने चीन के अत्याचारों के संदर्भ में चेतावनी दी कि जो आज हिंसा फैला रहे हैं, वे भी एक दिन नहीं रहेंगे। “हमें आज ही शांति की नींव रखनी होगी।”
दरगाह अजमेर शरीफ के प्रतिनिधि वहित हुसैन चिश्ती ने कहा, “हम सभी एक ही रचयिता की संतान हैं। यह संघर्ष धर्म का नहीं, सत्ता और स्वार्थ का है। दुनिया की अर्थव्यवस्था टूट रही है, बच्चे मर रहे हैं, और नेता चुप हैं। अगर अब भी हम नहीं रुके, तो मानवता खत्म हो जाएगी।”
मौलाना असगर अली सल्फी मेहंदी ने डॉ. पॉल के साथ अपने पूर्व शांति अभियानों का ज़िक्र करते हुए कहा, “हम सूडान में मुस्लिम और ईसाई समुदायों के बीच शांति संदेश लेकर गए थे। आज फिर वही मकसद लेकर हम खड़े हैं – दुनिया को युद्ध से बचाना।”
यूनिवर्सल एसोसिएशन फॉर स्पिरिचुअल अवेयरनेस के संस्थापक पंडित एन.के. शर्मा ने कहा, “यह कोई मंचीय कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह समय की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है। अगर आज धर्मगुरु नहीं बोलेंगे, तो कल हम सब को इसका खामियाजा भुगतना होगा।”
हिंदू प्रतिनिधि डॉ. ओमप्रकाशार्य ने भी मंच से स्पष्ट कहा, “दुनिया को इस समय किसी राजनीतिक जीत नहीं, बल्कि स्थायी शांति की आवश्यकता है।”
प्रेस वार्ता के अंत में डॉ. पॉल ने बताया कि यह केवल एक आरंभ है। आगामी ग्लोबल पीस समिट में वे सरकारों, सिविल सोसाइटी और मीडिया को जोड़ते हुए शांति के प्रयासों को आगे बढ़ाएंगे।