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कोरोना काल में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का गढ़ बनता चीन

देखा जाए तो चीन ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है कि वह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में सरताज बनना चाहता है। इसके लिए यहां की सरकार कई योजनाएं बना रही हैं, साथ ही इस क्षेत्र में शोध को बढ़ावा भी दे रही है।

नई दिल्ली। 21वीं सदी के दूसरे दशक के अंत में तकनीक का विस्तार मशीनों से आगे निकल चुका है। जिस तरह इंसान और जानवर अपनी प्राकृतिक समझ का इस्तेमाल करते हैं, ठीक वैसी ही समझ या बुद्धि को मशीनों में विकसित किया जाता है, जिसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का नाम दिया गया है। वो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, जिसे कृत्रिम समझ या बुद्धि कहा जाता है, और आमतौर पर रोबोटों या मशीनों में इस्तेमाल होता है।

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यह एक ऐसी तकनीक है जिसके पीछे पूरी दुनिया पड़ी हुई है। हर देश इस तकनीक में उन्नत होना चाह रहा है और चीन जैसे कुछ देशों ने तो इस तकनीक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। आज चीन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में सिरमौर बनकर उभर रहा है और चीन सरकार इस पर तेजी से काम करने में जुटी हुई है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिए लोग अपने सुनहरे भविष्य का आधार बना सकते हैं।

मैंने खुद देखा है कि पिछले कुछ समय से खासतौर पर कोविड-19 महामारी के दौरान चीन में एआई का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होने लगा है। मुझे सबसे ज्यादा हैरानी तो तब हुई जब मैंने एक रेस्तरां में खाना मंगवाया, तब एक रोबोट ने आकर उसे परोसा। महामारी काल में इस तरह की सामाजिक दूरी और स्पर्शहीन का नायाब तरीका वाकई काबिल-ए-तारीफ है।

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बहरहाल, इस समय चीन के कई उद्योगों और लोगों की आम जिंदगी में इसका व्यापक इस्तेमाल हो रहा है, चाहे वो शेयरिंग साइकिल हो, या फिर पैकेज डिलिवरी। चीन के लगभग सभी अस्पतालों, अदालतों, शहर की योजना, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और कई अन्य सार्वजनिक सेवाओं में एआई का बढ़चढ़ कर इस्तेमाल होने लगा है। चीन के सरकारी अस्पतालों में रिपोर्ट लेने के लिए, चाहें वो ब्लड रिपोर्ट हो या फिर कोई अन्य रिपोर्ट, लाइन में लगने या काउंटर पर जाने की जरूरत नहीं होती। वहां लगी वेंडिंग मशीन पर जाकर अपना नंबर स्कैन करके रिपोर्ट हासिल कर सकते हैं। इससे घंटो लाइनों में खड़े रहने की जरूरत नहीं पड़ती, साथ ही लोगों के स्पर्श से भी बचा जा सकता है।

इसके अलावा, मैंने कई कंपनियों या ऑफिस में देखा है कि आपका कंप्यूटर या दरवाजा फेस रिकॉग्निशन (चेहरे की पहचान) से ही खुलता है, यानी कि चेहरा पहचानने पर ही दरवाजा खुलेगा या कंप्यूटर चालू होगा। यही नहीं, चीन के दक्षिण पश्चिमी प्रांत क्वेचोउ में दुनिया का सबसे बड़ा बिग डाटा केंद्र बन रहा है। तो आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि चीन बहुत कम समय में ही आधुनिकतम टेक्नॉलोजी और विज्ञान के नए अवतार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल के अनूठे प्रयोगों का गढ़ बनता जा रहा है।

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देखा जाए तो चीन ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है कि वह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में सरताज बनना चाहता है। इसके लिए यहां की सरकार कई योजनाएं बना रही हैं, साथ ही इस क्षेत्र में शोध को बढ़ावा भी दे रही है। इसी का नतीजा है कि जुलाई 2017 में चीन ने कहा था कि 2020 तक चीन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक को समझ लेगा और इसके बाद 2030 तक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस इनोवेशन सेंटर के रूप में उभरकर सामने आएगा। इसके अलावा चीन ने अक्टूबर 2017 को चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भी वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ इंटरनेट, बिग डाटा और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को बढ़ावा देने की बात कही थी।