नई दिल्ली। इन दिनों मुफ्त वाले रेवड़ी कल्चर और उसकी वजह से अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान की पूरे देश में चर्चा है।कुछ लोग इस चीज को जायज ठहरा रहे हैं जबकि कईयों का मानना है कि ये देश या प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत खतरनाक है। हम देख रहे हैं कि किस तरह हिंद महासागर वाले भारत के पड़ोसी श्रीलंका कंगाल हो चुका है और वहां कैसी भयावह स्थिति बीते दिनों देखी गई। विदेशों से लिया गया अंधाधुंध कर्ज और लोकलुभावन मुफ्त वाली योजनाओं को अमलीजामा पहनाना, सरकारी खजाना खाली होने के ये दो सबसे बड़े कारण होते हैं। श्रीलंका की हालत तो आप सभी ने देखी और फटेहाल पाकिस्तान के बारे में भी आप जानते ही हैं। लेकिन इन दोनों के बाद अब भारत का एक और पड़ोसी आर्थिक बदहाली के दलदल में धंसता जा रहा है, इस पड़ोसी का नाम है बांग्लादेश। जी हां, बांग्लादेश इस कदर आर्थिक तंगी से परेशान है कि उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानि IMF से 4.5 अरब डॉलर का कर्ज मांगा है।
इसके लिए बांग्लादेश के वित्त मंत्री एएचएम मुस्तफा कमाल ने आईएमएफ को आधिकारिक तौर पर एक चिट्ठी लिखी है। IMF की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जॉर्जिवा को लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि देश की आर्थिक बदहाली के बीच विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर रखने और बांग्लादेश पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए कर्ज की दरकार है। बांग्लादेश बैंक के ऑफिशियल डेटा के मुताबिक, साल 2020 की जुलाई से इस साल मई के बीच बांग्लादेश का इम्पोर्ट 81.5 अरब डॉलर रहा जो एक साल पहले की तुलना में 39 फीसदी ज्यादा है।
बांग्लादेश का करंट अकाउंट Current account deficit वित्त वर्ष 2021-22 के 11 महीनों में छह गुना से ज्यादा बढ़कर 17.2 अरब डॉलर पर आ गया। बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है। 20 जुलाई तक बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार 39.7 अरब डॉलर है। जून महीने में बांग्लादेश में महंगाई दर 9 महीने के उच्च स्तर 7.56 फीसदी पर रही। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस बात की पूरी संभावना है कि आईएमएफ से मिलने वाली 4.5 अरब डॉलर की राशि में से 1.5 अरब डॉलर पर कोई ब्याज नहीं लगेगा और बाकी धनराशि पर 2 फीसदी से कम ब्याज लगेगा। IMF से इस तरह मदद की मांगने का मतलब है कि बांग्लादेश उन देशों की लिस्ट में शामिल हो चुका है, जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए आईएमएफ से कर्ज की मांग की है। महीने की शुरुआत में ही आईएमएफ ने कंगाल पाकिस्तान को चार अरब डॉलर के पैकेज पर सहमति जताई थी।
इसके अलावा तंजानिया को 1.05 अरब डॉलर और घाना को 1.5 अरब डॉलर का आर्थिक पैकेज देने पर भी सहमति जताई गई। रिपोर्ट्स की मानें तो इस संबंध में बांग्लादेश की आईएमएफ के साथ सितंबर में मीटिंग हो सकती है, इस दौरान कर्ज की शर्तों को अंतिम रूप दिया जा सकता है। अधिकारियों के मुताबिक, इस साल दिसंबर तक इस डील को लॉकइन करके जनवरी में आईएमएफ की बोर्ड मीटिंग में पेश किया जाएगा। आमतौर पर आईएमएफ से मिलने वाले कर्ज की शर्तें बहुत सख्त होती हैं, जिनका पालन नहीं करने पर गंभीर परिणाम भी भुगतना पड़ सकता है। लिहाजा अब देखने वाली बात ये होगी कि बांग्लादेश को ये कर्ज किन शर्तों पर मिलता है और क्या उन शर्तों को बांग्लादेश पूरा कर पाता है या नहीं।